नई दिल्ली: सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन था, जिससे ये कमेटी आंदोलनरत किसानों की समस्या का समाधान निकालने के साथ ही उनकी सभी समस्याओं से कोर्ट को रूबरू करवाये। हालांकि इस कमेटी को लेकर किसान नेताओं की ओर से लगातार सवाल खड़े किये जा रहें है, उनका कहना है कि इस कमेटी के अधिकतर सदस्यों का झुकाव पहले से ही सरकार की ओर है, इसलिए वे इस कमेटी को नहीं मानते है।
लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के इस कमेटी को बड़ा झटका लगा है। गौरतलब है कि इस कमेटी के चार प्रमुखों सदस्यों में शामिल भूपिंदर सिंह मान ने खुद को अलग कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट का आभार जताते हुए भूपिंदर सिंह मान ने लिखा कि एक किसान और संगठन का नेता होने के नाते मैं किसानों की भावना जानता हूं। मैं अपने किसानों और पंजाब के प्रति वफादार हूं। इन के हितों से कभी कोई समझौता नहीं कर सकता। मैं इसके लिए कितने भी बड़े पद या सम्मान की बलि चढ़ा सकता हूं। मैं कोर्ट की ओर से दी गई जिम्मेदारी नहीं निभा सकता। मैं खुद को इस कमेटी से अलग करता हूं।
बता दें कि भारतीय किसान यूनियन ने पंजाब के खन्ना में प्रेस कांफ्रेंस कर भूपिंदर सिंह मान को अपने संगठन से अलग करने का ऐलान किया है। अब जबकि इस कमेटी से खन्ना ने खुद को अलग कर लिया है, तो अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी कैसे काम करेगी। क्योंकि अब इस चार कमेटी में सदस्यों में सिर्फ तीन ही सदस्य रह गये है। जिनमें प्रमुख प्रमोद जोशी, अनिल घनवंत और अशोक गुलाटी हैं।
आपको बता दें कि किसान भूपिंदर सिंह मान के अलावा अशोक गुलाटी का भी विरोध कर रहे हैं, जो अभी इस कमेटी में शामिल है।
किसान संगठनों का आरोप
किसान संगठनों का आरोप है कि वो सभी नए कृषि कानून के समर्थक हैं और वक्त-वक्त पर इनका समर्थन करते आए हैं। ऐसे में किसान संगठनों ने कमेटी की पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। जिसमें किसान संगठनों को विपक्षी दलों का भी साथ मिला है।