रिपोर्ट:खुर्शीद रब्बानी
नई दिल्ली: दरअसल, 28 से 31 मई तक कई बड़े संगठन देश और मुस्लिम समाज के मौजूदा हालात पर मंथन करने के लिए अलग अलग सम्मेलनों का आयोजन कर रहे हैं!
इसी कड़ी में “जमीयत उलेमा ए हिन्द” (मौलाना महमूद मदनी) 28 और 29 मई को को देवबंद में “राष्ट्रीय प्रबंधक कमेटी” का सम्मेलन आयोजित करेगी जिसमें देश और मुसलमानों से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा की जाएगी साथ ही आगे की रणनीति भी तैयार होगी।
इसके बाद पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब “Indian Intellectual Muslim Meet” नाम से एक सम्मेलन का आयोजन कराएंगे। आगामी 29 मई को दिल्ली स्थित ग़ालिब इंस्टिट्यूट में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में 2014 के बाद मुसलमानों के साथ होने वाली सभी घटनाओं एवं ज्यादतियों पर चिंतन किया जाएगा साथ ही इन हालात से निपटने के लिए आगे की रणनीति भी तैयार की जाएगी। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक़ अब्दुल्लाह और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष कमाल फारुकी सहित कई मुस्लिम-ग़ैर मुस्लिम बुद्धिजीवी इस सम्मेलन में शिरकत करेंगे।
31 मई को “पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया” तरफ से भी “संविधान सुरक्षा आंदोलन” विषय पर एक अहम कांफ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। दिल्ली के “Constitution Club of India” में आयोजित होने वाली इस कॉन्फ्रेंस में विभिन्न धर्मों एवं विचारधारा के बुद्धिजीवी शिरकत करेंगे और हालात को बेहतर बनाने के लिए अपने विचार रखेंगे।
ग़ौरतलब है कि, पिछले हफ़्ते “All India Muslim Majlis e Mushawarat” की तरफ़ से भी दिल्ली स्थित “इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर” में मुल्क के मौजूदा हालात पर विचार-विमर्श किया गया था। जिसमें खरगोन, जहांगीरपुरी, करौली से लेकर ज्ञानवापी, ताजमहल, कुतुबमीनार और लिंचिंग जैसे मुद्दों पर खुल कर बात की गई थी साथ ही इन हालात से निपटने के लिए जेल भरो आंदोलन चलाने, विभिन्न प्रदेशों का दौरा करने और प्रधानमंत्री से मुलाक़ात करने जैसे क़दम उठाने की बात की गई थी।