नई दिल्ली : भारत के दबाव के बाद ब्रिटेन ने कोविशील्ड लगवा चुके यात्रियों को यूके जाने की अनुमति तो दे दी है, लेकिन अभी भी इसके साथ पुरानी शर्ते लागू है। जिससे एक बार फिर कोविशील्ड को लेकर लोगों में संदेह है। हालांकि ब्रिटेन ने ये साफ कर दिया कि उनकी आपत्ति वैक्सीन को लेकर नहीं है, बल्कि वैक्सीन सर्टिफिकेट को लेकर है।
सीधे शब्दों में समझे तो उन्हें वैक्सीन सर्टिफिकेट की प्रमाणिकता को लेकर संदेह है। ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये मामला क्या है और अगर आपके पास भी वैक्सीन का सर्टिफिकेट है तो आप कैसे पता कर सकते हैं कि आपका सर्टिफिकेट असली है या नकली। साथ ही अगर आप किसी दूसरे व्यक्ति के सर्टिफिकेट के बारे में पड़ताल करना चाहते हैं तो भी आप इसे जांच कर सकते है।
कैसे वेरिफाई करें वैक्सीन सर्टिफिकेट?
किसी भी सर्टिफिकेट को वेरिफाई करने के लिए सर्टिफिकेट पर बना क्यूआर कोड सबसे काम की चीज है। साथ ही आपको https://verify.cowin.gov.in/ पर जाना होगा और उसके बाद ‘Scan QR’ पर क्लिक करना होगा। इसके बाद आपकी डिवाइस का कैमरा ऑन हो जाएगा, जिसमें आपको क्यूआर कोड रीड करना होगा। स्क्रीन में 70 से 80 फीसदी तक क्यूआर कोड होना आवश्यक है और कैमरा फ्रेम में इसे एडजस्ट करना होगा। क्यूआर कोड पर कुछ सेकेंड तक कैमरा रखने के बाद आपकी वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति की जानकारी मिल जाएगी।
फिर कोविन वेबसाइट पर आपको नाम, उम्र, लिंग, सर्टिफिकेट आईडी, बेनिफिशयरी आईडी, वैक्सीन नेम, डेट ऑफ डोज, वैक्सीनेशन स्टेट्स और वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट की जानकारी मिल जाएगी। इससे आप जान सकते हैं कि अगले व्यक्ति ने वैक्सीन लगवाई है या नहीं।
लीगल दस्तावेज की तरह है वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट
वैक्सीन की पहली डोज लगवाने के बाद मिलने वाला यह सर्टिफिकेट बेहद खास है। इसमें वैक्सीन लगवाने वाले लाभार्थी का नाम, उसकी आईडेंटिटी, उसकी रजिस्ट्रेशन आईडी दर्ज है। इसके साथ ही टीका लगाने की तारीख, दिन, डोज और अन्य बुनियादी जानकारी दर्ज है। टीकाकरण अभियान में शामिल एक सिविल सर्जन के मुताबिक, वैक्सीन की पहली डोज लगवाने के बाद मिलने वाला सर्टिफिकेट प्रोविजनल होगा। वहीं, वैक्सीन की दूसरा डोज लगने के बाद फाइनल सर्टिफिकेट दिया जाएगा। यह सर्टिफिकेट एक लीगल दस्तावेज की तरह है।
क्या है मामला?
हाल ही में जब ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलीस से पूछा गया कि क्या वैक्सीन सर्टिफिकेशन को लेकर समस्या है तो एलीस ने बस ने कहा कि ब्रिटिश सरकार यह समझने का प्रयास कर रही है कि भारतीय कोविड वैक्सीन एप कैसे काम करता है और यह दो तरफा प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि, ‘‘यह असाधारण रफ्तार से हो रहा है।’’ सीधे शब्दों में समझे तो उन्हें वैक्सीन सर्टिफिकेट की प्रमाणिकता को लेकर संदेह है। इसी बीच लोगों का कहना है कि जब ब्रिटेन में हाथ से बनाए गए वैक्सीन रिपोर्ट कार्ड को स्वीकार लिया जा रहा है तो भारत के कम्प्यूटराइज्ड सर्टिफिकेट को लेकर आपत्ति क्यों हैं जबकि इसमें कई जानकारी लिखी होती है।