रिपोर्ट: सत्यम दुबे
प्रयागराज: कोरोना महामारी के दूसरे लहर का कहर लगातार जारी है। कोरोना से संक्रमित मरीज ऑक्सीजन और दवाईयों की कमीं से लगातार दम तोड़ रहें हैं। महामारी के दूसरे लहर ने कई हंसते-खेलते परिवारों को तबाह कर दिया है। हालात ये हो गये थे कि गंगा किनारे शव दफनाने और नदी में शव बहने के मामले पिछले कई दिनों से मामला गर्माया हुआ है। लेकिन इन सब के बीच शव दफनाने और नदी में शव बहने से गंगा जल भी प्रदूषित होने की बात कही जा रही है।
जिसको ध्यान में रखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के निर्देश पर गंगा जल के सैंपल लिए जा रहे हैं। इसी क्रम में प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर और फाफामऊ घाट से गंगा जल के सैंपल लिए गए। पखवाड़े भर में इसकी रिपोर्ट आएगी। तब पता चलेगा यहां गंगाजल में कितना प्रदूषण है।
आपको बता दें कि गंगा जल का सैंपल लेने के लिए लखनऊ स्थिति भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) की तीन सदस्यीय टीम श्रृंगवेरपुर घाट पहुंची। साथ में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भी टीम थी। नदी किनारे जहां पर शव दफनाए गए हैं, उसी तरफ से उन्होंने से गंगा जल के सैंपल लिए। पीपीई किट में इस टीम ने सैंपल लिए। उसके बाद यह टीम गंगा किनारे फाफामऊ घाट पर पहुंची। वहां से उन्होंने गंगा जल का सैंपल लिया और फिर लखनऊ लौट गई।
जबकि टीम के सदस्यों ने बताया कि सीपीसीबी के निर्देश पर यह सैंपल लिए जा रहे हैं। उनकी टीम कानपुर से लेकर वाराणसी तक गंगा जल की सैंपलिंग करेगी। पखवाड़े भर में जांच करके वह इसकी रिपोर्ट सीपीसीबी को सौंप दी जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि यह रिपोर्ट मिलने के बाद पूर्व की रिपोर्ट से इसका मिलान किया जाएगा। इससे पता चलेगा कि हाल के दिनों में गंगा किनारे शव दफनाने और शव बहने से जल में कितना प्रदूषण बढ़ा है।