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पश्चिम बंगाल चुनाव जीतने के बाद भी ममता को लगा सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, लागू होगा RERA

By: Amit ranjan 
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पश्चिम बंगाल चुनाव जीतने के बाद भी ममता को लगा सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, लागू होगा RERA

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल चुनाव जीतने के बाद ममता दीदी ह्वीलचेयर से उतर गई है। क्योंकि उन्हें जो सीएम की कुर्सी मिलने वाली है। लेकिन इस जीत के बाद टीएमसी नेता औक कार्यकर्ता लगातार बंगाल में आग बरसा रहे है और बीजेपी कार्यकर्ताओं के घरों और दफ्तरों को हमला कर रहे है। वहीं ममता इस सब मामलों में मौन साधे हुए है। इसी बीच ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा झटका लगा है और कोर्ट ने बता दिया है कि उनका तानाशाही रवैया नहीं चलेगा।

गौरतलब है कि ममता सरकार ने अपने राज्य में बिल्डर-मकान खरीदार मामलों में संसद से पास हुए कानून RERA से अलग अपना एक अलग कानून WBHIRA बनाया था, जो बिल्कुल RERA की कॉपी कर बनाया गया था। जिस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया। आज दिए विस्तृत आदेश में जजों ने माना कि संसद से बने कानून के रहते राज्य का कानून बनाना सही नहीं था। इसलिए WBHIRA को खारिज किया जा रहा है। इसका मतलब यह नहीं कि राज्य में इसी विषय पर 1993 में बना कानून वापस अमल में आ जाएगा। अब पश्चिम बंगाल में RERA लागू होगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि WBHIRA कानून के तहत राज्य में पिछले 3 साल में लिए गए फैसले बने रहेंगे, ताकि लोगों में कोई भ्रम न हो।

आपको बता दें कि मामले पर लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने पिछले महीने फैसला सुरक्षित रखा था। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि समवर्ती सूची के मामलों में संसद से बने कानून को प्राथमिकता दी जाती है। पश्चिम बंगाल में एक समानांतर कानून लाने की कोई जरूरत नहीं थी। कोर्ट ने यह भी माना है कि राज्य का कानून WBHIRA, केंद्रीय कानून RERA की कॉपी कर बनाया गया है।

गौरतलब है कि 2016 में संसद ने रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (RERA) पारित किया था। सभी राज्यों को इसे लागू करना था। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने इसकी बजाय वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्री रेग्युलेशन एक्ट (WBHIRA) 2017 बना दिया। इस तरह के कानून को संविधान के अनुच्छेद 254(2) के तहत राष्ट्रपति की मंजूरी के लिया भेजा जाना चाहिए था। राज्य सरकार ने यह भी नहीं किया और जून 2018 में अपना कानून लागू कर दिया। इसके खिलाफ पश्चिम बंगाल के मकान खरीदारों का संगठन फॉर्म फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

याचिकाकर्ता की दलील

याचिकाकर्ता संगठन ने दलील देते हुए कहा कि संसद के कानून की पूरी तरह नकल कर बनाया गया कानून के सिर्फ कुछ बिंदु अलग रखे गए है। यह बिंदु मकान खरीदारों के हितों के खिलाफ हैं। जैसे WBHIRA में ओपन पार्किंग स्पेस बेचने की अनुमति दी गई है। कई बातें जिन्हें RERA के तहत कोर्ट में मुकदमा चलाया जा सकता है, उनमें बिल्डर और खरीदार में समझौते की व्यवस्था बना दी गई है। जवाब में राज्य सरकार ने दलील दी कि संपत्ति की खरीद-बिक्री का विषय समवर्ती सूची का है। इसलिए, राज्य को उस पर कानून बनाने का अधिकार है।

इसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर फैसले को सुऱक्षित रख लिया औऱ आज दिए विस्तृत आदेश में जजों ने माना कि संसद से बने कानून के रहते राज्य का कानून बनाना सही नहीं थाछ इसलिए WBHIRA को खारिज किया जा रहा है। इसका मतलब यह नहीं कि राज्य में इसी विषय पर 1993 में बना कानून वापस अमल में आ जाएगा। अब पश्चिम बंगाल में RERA लागू होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कहा कि WBHIRA कानून के तहत राज्य में पिछले 3 साल में लिए गए फैसले बने रहेंगे, ताकि लोगों में कोई भ्रम न हो।

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