रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: शादी होने के शुरुआती दौर में अक्सर पति-पत्नी के बीच विवाद की खबरें सामने आती हैं। छोटो-छोटी बात को लेकर पति-पत्नी के बीच आपस में हुआ मनमुटाव परिवार के बीच पहुंच जाता है। जिसके बाद यही छोटी बात गलतफहमीं में पंचायत तक चली जाती है। इस पर एक रिसर्च किया गया, जिसके बाद निष्कर्ष निकाला गया कि बात बिगड़ने के पीछे का कारण लड़की के मायके पक्ष की दखल होती है।
जिसके बाद सिंधी पंचायत ने इस मामले पर एक अनोखा निर्णय लिया है। एक रिपोर्ट्स की मानें तो सिंधी पंचायत ने निर्णय लिया है कि लड़की के मायके वालों को हिदायत दी जाए कि वे शादी के बाद कम से कम दो साल तक उसके जीवन में दखल न दें। लड़की से बात करनी ही हो तो पांच मिनट में हालचाल पूछकर फोन रख दें। वहीं लड़कियों को भी समझाने की कोशिश की गई है। पंचायत ने लड़कियों को कहा है कि वे ससुराल की छोटी-मोटी बातों को मायके तक न पहुंचने दें।
आपको बता दें कि एक रिपोर्ट के मुताबिक सिंधी समाज में हर महीने तकरीबन 80 से ज्यादा केस पति-पत्नी के बीच विवाद के पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि इनमें से कई दंपतीयों की शादी हुए अभी दो साल भी नहीं हुए हैं।
शिकायत के बाद पंचायत ने पड़ताल की तो पता चला कि मायके वालों का दखल इस विवाद की जड़ है। जिसके बाद यह फैसला लोकस्तर पर गठित 28 सिंधी पंचायतों और सेंट्रल सिंधी पंचायत में पहुंचने वाले प्रकरणों की समीक्षा के बाद किया गया।
सेंट्रल सिंधी पंचायत में 95 प्रतिशत शिकायतो में देखा गया है कि मायके वालों के ज्यादा दखल के कारण नई नवेली बहू ससुराल के रहन-सहन में ढल नहीं पाती। लड़के के परिवार की एक ही शिकायत रहती है कि उनकी बहू पूरे समय मायके वाले के साथ फोन पर व्यस्त रहती है। रोकने पर दहेज प्रताड़ना की धमकी देती है।
आपको बता दें कि सेंट्रल सिंधी पंचायत पारिवारिक विवाद समेत अन्य मामलों के निपटारे के लिए बनाई गई है। इसमें पांच सदस्य मनोनीत किये गये हैं। इनमें सीनियर एडवोकेट और मनोवैज्ञानिक काउंसलर जैसे दिग्गज शामिल हैं। इस समिति का प्रयास रहता है कि प्रकरण का निराकरण समाज के स्तर पर ही हो जाए।