उज्जैन के महाकाल मंदिर में 29 अक्टूबर से पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत होगी। इस दौरान भगवान महाकाल की विशेष पूजा की जाएगी, जिसमें हर दिन अलग-अलग धार्मिक रस्मों का पालन किया जाएगा। 31 अक्टूबर को विशेष रूप से पांच आरती में भगवान की फुलझड़ियों के साथ पूजा होगी।
पूजा का कार्यक्रम
धनतेरस (29 अक्टूबर): इस दिन पुरोहित समिति द्वारा महाकाल की महापूजा की जाएगी, जिसमें भगवान को चांदी का सिक्का भेंट किया जाएगा। इस पूजा का उद्देश्य देश की सुख-समृद्धि की कामना करना है। इसके साथ ही भगवान धन्वंतरि का पूजन भी किया जाएगा।
दीपावली (31 अक्टूबर): इस दिन शाम को दीपावली मनाई जाएगी। अमावस्या की रात भगवान की फुलझड़ी से आरती की जाएगी, जो जीवन में बल, बुद्धि और ज्ञान के प्रकाश को बढ़ाने का प्रतीक है।
रूप चतुर्दशी: 31 अक्टूबर को तड़के 4 बजे भस्म आरती का आयोजन होगा। भगवान महाकाल को विशेष स्नान कराया जाएगा और फिर उन्हें नवीन वस्त्र और आभूषण पहनाए जाएंगे। इस अवसर पर 56 प्रकार के पकवानों का भोग अर्पित किया जाएगा।
गोवर्धन पूजा (2 नवंबर): कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोशाला में गोवर्धन पूजा होगी, जिसमें महिलाएं गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा करेंगी।
इस प्रकार, महाकाल मंदिर में दीवाली का यह उत्सव आह्लाद और समृद्धि का संदेश लेकर आएगा, और चारधाम यात्रा की तैयारियों के साथ इसे मनाने का विशेष महत्व है।