देवरिया – केंद्र की मोदी सरकार ने खुले में शौच मुक्त भारत बनाने का जो संकल्प लिया, वह आज भी अधूरा है। सरकार के दबाव में अधिकारियों ने कागजों में गांवों को ओडीएफ घोषित तो कर दिया। वहीं दूसरी ओर आज भी हजारों शौचालय या तो अधूरे पड़े हैं या उनके निर्माण इतना घटिया किस्म के हैं कि प्रयोग करने लायक ही नहीं या अधिकांश शौचालय बने ही नहीं।
बता दें कि जनपद के विकास खंड रुद्रपुर में पूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत चलाया जा रहा स्वच्छता अभियान कागज में तो कामयाब है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। अभिलेखों में अधिकांश गांव को खुले में शौच मुक्त गांव ओडीएफ घोषित तो कर दिया गया है।
लेकिन गांव में या तो शौचालय बना ही नहीं है और जो बना है वह उपयोग लायक ही नहीं है। शौचालय के नाम पर खड़े ढांचे में गोबर के उपले और लकड़ियां रखी जा रही है। रुद्रपुर ब्लाक के 86 गांव में 6494 लाभार्थियों के खाते में 78 करोड़ रूपये भेजने के बाद भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया।
प्रधान व सचिव ने मिलकर 78 करोड़ रुपए हजम कर लिए। यही हाल जिले के अन्य ब्लॉकों में भी है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच करने से रोकने के लिए सरकार हर ग्रामवासी को शौचालय बनवाने के लिए 12 हजार रूपये की सब्सिडी दे रही है तो दूसरी तरफ गांव में शौचालय के नाम पर भारी घोटाला उजागर हो रहा है।
कई गांव में प्रधान और सेक्रेटरी की मिली भगत से ठेके पर शौचालय बनाये जा रहे हैं। गांव में प्रधान लाभार्थी के खाते में शौचालय का 12 हजार रुपए डालकर उनसे निकलवा ले रहे हैं। ऐसे में हर लाभार्थी के दरवाजे पर शौचालय के नाम पर सिर्फ ढांचा खड़ा कर दिया गया है।
मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर विकास खंड रुद्रपुर के 84 गाँवों में शौचालयों की जांच की जा रही है। जिसमें 6494 शौचालय अधूरे मिले हैं। इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी शिव शरणपा ने बताया कि जिन गांवों में शौचालय निर्माण नहीं हुआ है, जांच कराई जा रही है। वहां शीघ्र शौचालय बनवाये जाएंगे।