नई दिल्ली : फोन टैपिंग विवाद मामले पर संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि फोन टैपिंग से जासूसी के आरोप गलत हैं। उन्होंने कहा कि लीक डेटा का जासूसी से कोई लेना देना नहीं है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डेटा से ये साबित नहीं होता कि सर्विलांस हुआ है। उन्होंने कहा कि लीक हुए डेटा का जासूसी से कोई लेना देना नहीं है। फोन टैपिंग को लेकर सरकार का प्रोटोक़ल बेहद सख्त है और डेटा से ये साबित नहीं होता कि सर्विलांस किया गया है।
भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की साज़िश
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बीती रात एक वेब पोर्टल पर एक सेंसेशनल खबर प्रकाशित की गई। खबर में कई बड़े आरोप लगाए गए। ये रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र से महज़ एक दिन पहले आई, ये कोई संयोग नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि ये भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की साज़िश है। उन्होंने साफ किया कि इस जासूसी कांड से सरकार का कोई लेना देना नहीं।
क्या है मामला?
द गार्जियन अखबार ने दावा किया है कि भारत सरकार ने कई पत्रकारों, नेताओं की जासूसी करवाई है। दावा है कि भारत के 40 से ज्यादा पत्रकारों के फोन हैक किए गए। कई मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच की गई, जिसके हवाले से ये दावे किए गए हैं। द वॉशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन समेत दुनिया के 17 न्यूज़ वेबसाइट ने ‘द पेगासस प्रोजेक्ट’ नाम से रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें भारत ही नहीं दुनिया के हज़ारों लोगों के फोन हैक करने का मामला सामने आया है।
केंद्र को घेरने की तैयारी में विपक्ष
विपक्ष कथित जासूसी कांड पर सरकार से जेपीसी जांच की मांग करेगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस कांड पर सवाल उठाए हैं। आज संसद के दोनों सदनों में इसको लेकर हंगामा भी हुआ। वहीं शिवसेना ने कहा कि हो सकता है महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे का फोन टैप हो रहा हो।