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झारखंड में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की बड़ी सफलता, लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण को मिला बढ़ावा

झारखंड के पलामू जिले ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' (BBBP) अभियान के तहत उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। इस विशेष 100 दिवसीय अभियान के दौरान जिले में 70 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 125 सरकारी अधिकारियों और 22 क्षेत्रीय प्रतिनिधियों की भागीदारी रही।

By: Rekha 
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झारखंड में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की बड़ी सफलता, लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण को मिला बढ़ावा

झारखंड के पलामू जिले ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ (BBBP) अभियान के तहत उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। इस विशेष 100 दिवसीय अभियान के दौरान जिले में 70 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 125 सरकारी अधिकारियों और 22 क्षेत्रीय प्रतिनिधियों की भागीदारी रही। अभियान के तहत 216 लाभार्थियों का नामांकन भी किया गया, जिससे समाज में लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की 10वीं वर्षगांठ

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना की शुरुआत 2015 में हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य बालिकाओं की सुरक्षा, शिक्षा और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करना है। इस योजना के अंतर्गत सरकार लिंग असमानता को दूर करने और घटते बाल लिंग अनुपात को सुधारने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रही है। इस वर्ष 22 जनवरी को योजना की 10वीं वर्षगांठ मनाई गई, जिसके तहत देशभर में कई गतिविधियाँ आयोजित की गईं।

पलामू में अभियान की आवश्यकता और प्रभाव

पलामू जिला लंबे समय से महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित करने वाली सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहा था। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लैंगिक असमानता और बाल विवाह जैसी समस्याएँ बनी हुई थीं। इस चुनौती से निपटने के लिए प्रशासन और समाज कल्याण विभाग ने ‘100 दिन संकल्प’ अभियान के तहत जागरूकता कार्यक्रमों की एक श्रृंखला शुरू की, जिसका मुख्य उद्देश्य लैंगिक समानता, महिलाओं के अधिकार और बाल संरक्षण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना था।

अभियान के अंतर्गत प्रमुख गतिविधियाँ

बीबीबीपी सप्ताह और पीसीपीएनडीटी प्रवर्तन अभियान: इस दौरान 54 अधिकारियों और 8 स्थानीय प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ तीन कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 178 लाभार्थियों को नामांकित किया गया।

मिशन शक्ति सप्ताह: इस अभियान में 280 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जो इस पहल की व्यापकता को दर्शाता है।

सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम: नुक्कड़ नाटकों, रैलियों, और समूह चर्चाओं के माध्यम से बाल विवाह, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा रोकने पर जोर दिया गया।

विद्यालयों में प्रतियोगिताएँ: निबंध लेखन, हस्ताक्षर अभियान और वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिससे बच्चों में लैंगिक समानता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी की भावना विकसित हो सके।

समुदाय की भागीदारी और सकारात्मक परिणाम

इस अभियान के अंतर्गत स्वयंसेवकों ने घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाया और लिंग समानता व बाल विवाह की रोकथाम पर जोर दिया। इस पहल की सफलता को स्थानीय समाज और सरकार ने सराहा। विशेष रूप से महिलाओं और किशोरियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए नवजात बालिकाओं को शिशु किट और शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुरस्कार भी दिए गए।

सरकार और समाज का सहयोग

पलामू जिले की 265 पंचायतों में से 165 पंचायतों में इस अभियान को प्रभावी रूप से लागू किया गया। इसमें महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG), आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (AWW), गैर-सरकारी संगठनों (NGO), और स्थानीय प्रशासन का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।

पलामू में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता से प्रेरित होकर सरकार आने वाले समय में इस तरह के और जागरूकता अभियान चलाने की योजना बना रही है। इस पहल के प्रभाव से लड़कियों की शिक्षा दर में वृद्धि हुई है और बाल विवाह की घटनाओं में कमी आई है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव का संकेत है।

झारखंड के पलामू जिले में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान ने सामाजिक परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पहल महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। इस अभियान की सफलता अन्य जिलों और राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है।

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