{ रिपोर्ट शैलेन्द्र शाही }
लॉकडाउन में बेटों के न आ पाने पर पत्नी ने कांपते हाथों से पति को मुखाग्नि दी तो लोगों की आंखें छलक पड़ीं. बेटे रोजी-रोटी कमाने के लिए प्रदेश से बाहर गए थे और लॉकडाउन में वहीं फंस गए. बेटों को पिता के मौत की खबर लगी तो वह चाहकर भी अंतिम दर्शन को नहीं आ सके।
मृतक संतराम शर्मा घर पर ही रहकर खेती करते थे. उनके तीन बेटो में राधे कृष्ण पूना, अर्जुन प्रसाद हरियाणा और सबसे छोटा बेटा सुभाष पंजाब में अपने परिवार के साथ रहकर वहीं नौकरी करते हैं. संतराम के साथ पत्नी कैलासी गांव में ही रहते थे।
वहीं रविवार को दोपहर में 12 बजे अचानक संतराम की तबियत बिगड़ गई पड़ोसी उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कुछ ही देर में संतराम शर्मा (70 वर्ष) की मौत हो गई।
मृतक सन्तराम के बेटों ने पिता का अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये स्थानीय प्रशासन से अनुमति मांगी लेकिन उन्हें अनुमति नही मिली।
काफी प्रयास के बाद मृतक के बेटों ने लाकडाउन के चलते पिता के अंतिम संस्कार में न पहुंच पाने की मजबूरी ग्रामीणों से बताई।
इसके बाद पत्नी कैलासी देवी ने खुद ही अंतिम संस्कार कराने का निर्णय लिया. जिसके बाद पेंदाघाट पर मृतक संतराम को उनकी पत्नी कैलासी ने अपने कांपते मुखाग्नि दिया।
जिसने भी यह हृदय विदारक नजारा देखा वो अपने आंसू नही रोक पाया. घटना को लेकर पूरे क्षेत्र में चर्चा हो रही हैं. वहीं पिता की मौत में शामिल न हो पाये बेटों ने वीडियो कॉलिंग के जरिये पिता का अंतिम दर्शन किए।