नई दिल्ली : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत के बाद लगातार ये चर्चा हो रही थी, की आखिर अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष कौन होगा। क्योंकि अपनी सुसाइड से पहले महंत नरेंद्र गिरी ने जो चिट्ठी लिखा था, उसे कई महंतों ने खारिज किया था। और इस लेटर में लिखी लिखावट को उनका नहीं बताया था। क्योंकि उनका कहना था कि वे सिर्फ अपना नाम ही लिखना जानते थे। क्योंकि वे पढ़े-लिखे अधिक नहीं थे।
कौन बनेगा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष
इन सभी चर्चाओं और सवालों के बीच, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बाघम्बरी मठ गद्दी के उत्तराधिकारी बलवीर गिरि होंगे। हालांकि इसका अभी ऐलान नहीं किया गया है। खबरों की मानें तो बलवीर गिरी के नामों का औपचारिक ऐलान पांच अक्टूबर को षोडशी भोज के दिन किया जाएगा। आपको बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से जो सुसाइड नोट मिला था, उसमें बलवीर गिरि के ही नामों का जिक्र था।
जानकारी के मुताबिक, 5 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से 1 के बीच बलवीर गिरी का पट्टाभिषेक होगा। इसमें संत समाज के लोग बलवीर गिरी को महंतई चादर ओढ़ाएंगे। बता दें कि मंगलवार को पंच परमेश्वरों की बैठक में बलबीर गिरी के नाम पर सहमति बनी है। अब गुरुवार को हरिद्वार में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महराज के साथ बैठक के बाद बलवीर के नामों का ऐलान किया जाएगा। इसकी जानकारी पंचायती निरंजनी अखाड़े के सचिव रवींद्र पूरी ने दी है।
आपको बता दें कि बैठक में मोहर लगने के बाद आने वाली पांच अक्टूबर को षोडशी भोज के दिन पंचपरमेश्वर की बैठक होने के बाद पूरे विधि विधान से बलवीर गिरि का पट्टाभिषेक कर उन्हें मठ बाघम्बरी गद्दी का महंत बना दिया जाएगा।
क्या होती है षोडशी भोज
षोडशी भोज साधु संतों में होता है यानी सोलहवे दिन का भोज। इस भोज में मर्तक साधु के 16 पसंदीदा वस्तुओं का दान भी किया जाता है। आम आदमियों में 13 दिन के बाद तेरहवीं संस्कार किया जाता है लेकिन साधुओं में षोडशी मनाई जाती है। इसमें जिस संत की मृत्यु हुई है उसको जो पसंद होता है उन 16 वस्तुओं का 16 लोगों में दान किया जाता है और एक भोज कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे मृतक आत्मा को 16 संस्कारों से मुक्ति मिल जाती है।
कौन हैं बलवीर गिरि
बता दें कि इससे पहले बलवीर गिरि का नाम चर्चा में नहीं था। लेकिन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि ने अपने 12 पन्ने के सुसाइड नोट में बलवीर गिरि का जिक्र करते हुए उनको मठ का महंत उत्तराधिकारी बनाने के लिए लिखा था।
35 वर्ष के बलवीर गिरि उत्तराखंड के निवासी हैं। साल 2005 में बलवीर गिरि को महंत नरेंद्र गिरि ने दीक्षा दी थी और बलवीर गिरि ने सन्यास धारण कर लिया था। बलवीर गिरि हरिद्वार में बिल्केश्वर महादेव की देखरेख व व्यवस्था देखते थे। महंत नरेंद्र गिरि ने आंनद गिरि से नाराज होकर अपनी बदली वसीयत में बलवीर गिरि को मठ का उत्तराधिकारी घोषित किया है। अब 5 अक्टूबर को बलवीर गिरि महंत की कुर्सी पर विराजमान हो जाएंगे।