नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ 2 अगस्त से रोजाना सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में याचिका में कई अहम कानूनी और संवैधानिक पहलुओं पर सुनवाई करेगी। चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने केंद्र के फैसले को SC में चुनौती दी है, जिसमें 20 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं।
शेहला तथा शाह ने वापस लिया केस
इस मामले को लेकर मंगलवार को शेहला रशीद और IAS शाह फैसल खासे चर्चा में रहे। दरअसल, शेहला और शाह ने अपनी-अपनी याचिका वापस ले ली है। छात्र नेता शेहला रशीद और IAS अधिकारी शाह फैसल ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले का पुरजोर विरोध किया था। शेहला और शाह ने SC में याचिका दायर कर केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती भी दी थी। लेकिन अब दोनों के सुर बदल गए हैं। शेहला और शाह फैसल दोनों ने अदालत में कहा था कि वह इस मामले में अब पक्षकार नहीं बनना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने याचिका से अपना नाम वापस लेने के लिए आवेदन दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने शेहला रशीद का धारा 370 को लेकर चुनौती देने वाली याचिकाकर्ताओं की सूची से नाम हटाने की याचिका स्वीकार कर ली है, जबकि IAS अधिकारी शाह फैसल को लिस्ट से अपना नाम हटाने के लिए आवेदन करने को कहा है।
नौकरी पर लौटे IAS शाह फैसल
बता दें कि शाह फैसल सिविल सर्विस एग्जाम के टॉपर हैं। फैसल जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। फैसल ने जनवरी 2019 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट नाम से राजनीतिक दल का गठन किया था। हालांकि, शाह फैसल फिर सरकारी नौकरी में वापस लौट आए। उन्हें केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में उपसचिव बना दिया। वहीं जम्मू-कश्मीर की रहने वाली शेहला JNU की छात्र रह चुकी हैं। शेहला JNU में छात्र संघ की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं। 2016 में JNU के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद की गिरफ्तारी के बाद शेहला रशीद ने प्रदर्शन किए थे। शेहला अपने विवादित बयानों को लेकर भी चर्चा में रही हैं। उसने सेना पर कश्मीर के लोगों के साथ अत्याचार करने का आरोप लगाया था। वहीं दिल्ली पुलिस ने शेहला के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया था।