नई दिल्ली : म्यांमार नेता आंग सान सू की गिरफ्तारी के बाद, सैन्य सरकार के खिलाफ लगातार म्यांमार की जनता प्रदर्शन कर रही है, जिसे रोकने को लेकर म्यांमार की सेना लगातारल हिंसक कार्रवाई भी कर रही है। जिसे लेकर दुनिया के कई देशों ने चिंता भी जाहिर की है। इसके बावजूद भी म्यामांर सेना की यह हिंसक कार्रवाई रूकने का नाम नहीं ले रहा है।
आपको बता दें कि मांडले में सेना का अत्याचार इस कदर बढ़ गया है कि उसने बीते मंगलवार को अपने पिता की गोद में बैठी एक सात साल की बच्ची की गोली मारकर हत्या कर दी। बता दें कि यह बच्ची प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई कार्रवाई में मारी जाने वाली सबसे छोटी उम्र की मासूम है।
इस मामले पर मानवाधिकार समूह सेव द चिल्ड्रेन ने कहा कि सेना की निर्मम कार्रवाई में मारे गए दर्जनों लोगों में 20 बच्चे भी शामिल हैं। संस्था ने एक बयान में कहा कि वह बच्ची की मौत से चिंतित हैं। जिस तरह से हर रोज बच्चों की मौत हो रही है, वह यह दिखाती है कि सेना को लोगों की जिंदगी की कोई परवाह नहीं है।
सेना का कहना है कि उनकी कार्रवाई में अब तक 164 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है। वहीं, सेना की तरफ से आरोप लगाते हुए कहा गया है कि प्रदर्शनकारी लगातार हिंसा कर रहे हैं। साथ ही सेना ने यह दावा भी किया है कि वह अपनी कार्रवाई में कम से कम बल प्रयोग की कोशिश कर रही है।
सैन्य सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि कार्रवाई में अब तक 164 लोगों की जान गई है। इधर, एसिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स का कहना है कि सेना के हमले में कम से कम 261 लोगों की मौत हुई है।
आपको बता दें सेना ने मंगलवार को हुई प्रदर्शनकारियों की मौत पर दुख जताया हैं। सेना की तरफ से कहा गया कि सैनिकों ने बच्ची के पिता को गोली मारी थी, लेकिन पिता को गोली लगने के बजाय वह उसकी गोद में बैठी बच्ची को लग गई। बच्ची की पहचान खिन मायो चित के तौर पर हुई है।
जानकारी के अनुसार गोली लगने के बाद एक बचाव दल ने बच्ची का इलाज किया, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी। परिजनों ने बताया कि सेना ने बच्ची के 19 साल के भाई को गिरफ्तार कर लिया। वहीं, इस मामले पर सेना की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गई। खैर, सेना ने अपने सफाई में ये कह दिया की यह गोली उस बच्ची को गलती से लग गई। लेकिन जो औरों 163 मौते सैनिक कार्रवाई में हुई है, वो किस गलती से हुई। हालांकि मामला जो भी हो, लेकिन पिछले कुछ समयों से म्यांमार की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। जिसे लेकर जल्द ही तमाम विश्व स्तर के संगठन को उचित कदम उठाना चाहिए।