रिपोर्ट: सत्यम दुबे
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम फैंसला सुनाया है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर पति नाबालिग है तो वो बालिग पत्नी के साथ नहीं रह सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश कहा कि नाबालिग पति को उसकी बालिग पत्नी को सौंपना पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध होगा। इसलिए जब तक पति बालिग नहीं हो जाता तब तक वो आश्रय स्थल में ही रहेगा।
आपको बता दें कि कोर्ट ने अपना ये अहम फैसला एक लड़के की मां की याचिका पर सुनाया है। लड़के की मां ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर उसकी अभिरक्षा मांगी थी। लड़का अपनी मां के साथ भी नहीं रहना चाहता। वो अपनी पत्नी के साथ ही रहना चाहता है। मौजूदा वक्त में लड़के की उम्र 16 साल ही है। लड़का 4 फरवरी 2022 को 18 साल का होगा।
इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला देते हुए दोनों की शादी को ‘शून्य’ यानी ‘निरस्त’ कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि “नाबालिग पति को बालिग पत्नी को नहीं सौंपा जा सकता। अगर ऐसा किया जाता है तो ये पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध होगा।”
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायामूर्ती जेजे मुनीर की बेंच ने फैसला दिया है। बेंच ने कहा कि, “क्योंकि लड़का मां के साथ भी नहीं रहना चाहता। इसलिए उसे 4 फरवरी 2022 तक बालिग होने तक आश्रय स्थल में रखा जाए। बालिग होने के बाद लड़का अपनी मर्जी से कहीं भी किसी के साथ भी रह सकता है। लेकिन तब तक उसे आश्रय स्थल में ही सारी सुविधाओं के साथ रखा जाए।”