रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: उत्तराखंड जो हिमालय की गोद में बसा है, एक बार फिर बड़ी त्रासदी से जूझ रहा है। रविवार को चमोली में ग्लेशियर टूटने से 15 लोगो ने अपनी जान गंवा दी है। जबकि लगभग 150 के ऊपर लोग लापता हो गये हैं। इस त्रासदी में राहत बचाव की टीमों को तत्काल घटना स्थल पर रवाना किया गय़ा। इस ऑपरेशन में वायुसेना का एयरक्राफ्ट चिनूक को भी राहत बचाव के लिए उतार दिया है।
चिनूक हैवी लिफ्ट ट्विन रोटर हेलिकॉप्टर है जो राहत और बचाव कार्य के दौरान हेवी लोड उठाने में सक्षम है। आइये जानते हैं कि चिनूक होलीकॉप्टर खासियत क्या है?
25 मार्च साल 2019 को चिनूक हेलीकॉप्टर को भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था। इस हेलीकॉरप्टर को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने बनाया है। आपको बता दें कि भारत ने 15 हेलीकॉप्टर की डील अमेरिका से की है। इस हेलीकॉप्टर की खासियत यह है कि यह 20 हजार फिट से भी उपर उड़ सकता है। इस हेलीकॉप्टर में एकीकृत डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम है। जबकि इस हेलिकॉप्टर में एक बार में गोला बारूद, हथियार के अलावा सैनिक भी जा सकते हैं।
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि चिनूक हेलीकॉप्टर को रडार से पकड़ पाना भी मुश्किल है। चिनूक हेलीकॉप्टर भारी मशीनों और तोपों को भी उठाकर ले जा सकता है। 20 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ने वाला चिनूक हेलीकॉप्टर 10 टन तक के वजन को उठाकर कहीं भी ले जा सकता है।
इतना ही नहीं यह हेलीकॉप्टर 280 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ने में सक्षम है, जबकि इसकी ऊंचाई 18 फीट और चौड़ाई 16 फीट है। चिनूक हेलीकॉप्टर को दो पायलट उड़ा सकते हैं। इस हेलिकॉप्टर का 26 देशों में इस्तेमाल किया जाता है और इन देशों में अब भारत भी जुड़ गया है। रविवार को चमोली में आई त्रासदी के बाद वायु सेना ने इसको भी राहत बचाव के लिए उतार दिया है।