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जारी रहेगा EWS को 10 फीसदी आरक्षण, समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर SC ने की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस के लिए 2019 में शुरू किए गए 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखने के अपने फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस कोटे में एससी/एसटी/ओबीसी श्रेणियों के गरीबों को शामिल नहीं किया गया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि फैसले में प्रत्यक्ष रूप से कोई खामी नजर नहीं आती।

By: RNI Hindi Desk 
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जारी रहेगा EWS को 10 फीसदी आरक्षण, समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर SC ने की सुनवाई

नई दिल्ली। सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानि ईडब्लूएस को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर मुहर लगा दी है। कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस के लिए 2019 में शुरू किए गए 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखने के अपने फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस कोटे में एससी/एसटी/ओबीसी श्रेणियों के गरीबों को शामिल नहीं किया गया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि फैसले में प्रत्यक्ष रूप से कोई खामी नजर नहीं आती। दरअसल पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सात नवंबर, 2022 को तीन-दो के बहुमत से फैसला देते हुए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के संवैधानिक प्रविधान 103वें संविधान संशोधन को सही ठहराया था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में करीब एक दर्जन याचिकाएं दाखिल हुईं थीं जिनमें ईडब्लूएस आरक्षण को सही ठहराने वाले फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई थी। ये फैसला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने पुर्नविचार याचिकाओं पर चैंबर में सर्कुलेशन के जरिये विचार करने के बाद बीते नौ मई को दिया था, लेकिन आदेश की प्रतिलिपि अब मिली हैं।

संविधान पीठ ने कहा कि उन्होंने दायर की गई सभी पुनर्विचार याचिकाओं को देखकर विचार किया और पाया कि फैसले में प्रत्यक्ष तौर पर कोई खामी नहीं है। सात नवंबर, 2022 का फैसला सुनाने वाली पांच सदस्यीय पीठ में जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पार्डीवाला ने आर्थिक आधार पर आरक्षण को सही ठहराया था, जबकि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट ने बहुमत के फैसले से असहमति जताई थी। सुप्रीम कोर्ट का नियम है कि पुनर्विचार याचिका पर वही पीठ चैंबर में सर्कुलेशन के जरिये मामले पर विचार करती है जिसने फैसला सुनाया होता है। लेकिन इस मामले में जस्टिस ललित सेवानिवृत्त हो चुके हैं इसलिए पुनर्विचार याचिकाओं पर जस्टिस ललित की जगह प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ पीठ में शामिल हुए थे। सात नवंबर, 2022 को जस्टिस महेश्वरी ने ईडब्लूएस आरक्षण को संविधान सम्मत घोषित करते हुए ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दीं थीं। उन्होंने कहा था कि आर्थिक आधार पर आरक्षण देना और उस आरक्षण से एससी-एसटी और ओबीसी को बाहर रखने से संविधान के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाता है। जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने जस्टिस महेश्वरी के फैसले से सहमति जताते हुए कहा था कि विधायिका लोगों की जरूरतों को समझती है। संविधान संशोधन में ईडब्लूएस का एक अलग वर्ग के रूप में वर्गीकरण है। इससे बराबरी के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता। उन्होंने फैसले में जनहित को देखते हुए आरक्षण पर फिर से विचार करने का सुझाव दिया था।

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