रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नोएडा: योगी सरकार सूबे में अपराधी, माफियाओं पर तो जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। इसके साथ सूबे में भ्रष्टाचार को लेकर भी जीरो टॉलरेंस की नीति का दावा करती है। जिसके तहत सरकार अब बड़ा कदम उठाने जा रही है। काफी सालों से लंबित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक टीप्पणी से सरकार गंभीर हो गई है।
आपको बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद सरकार ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के साथ ही यमुना प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) सहित सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में ‘आपरेशन क्लीन’ चलाने का फैसला किया है। सरकार द्वार चलाए जाने वाले ऑपरेशन क्लीन के तहत भ्रष्ट अफसर और बाबुओं की पहचान कर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जाएगी।
आपको बता दें कि मीडिया में आये दिन औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की खबरें आती रहती हैं। औद्योगिक विकास प्राधिकरण सालों से भ्रष्टाचार के अड्डे बने हुए हैं। इसको आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि नोएडा के मुख्य अभियंता रहे यादव सिंह जैसे, तमाम अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जा चुके हैं।
अभी एक पुराने मामले में सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने एक सख्त टिप्पणी की थी। उन्होने कहा था कि नोएडा प्राधिकरण के नाक, मुंह, कान से ही नहीं, बल्कि उसके चेहरे से भी भ्रष्टाचार टपक रहा है। यह मामला पुराना है। लेकिन भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बात कहने वाली योगी सरकार ने इस टिप्पणी को बेहद गंभीरता से लिया है।
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद हाल ही में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया है कि जिन अधिकारी-कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, उन्हें तत्काल बर्खास्त कर दिया जाए। इनमें दो अधिकारियों की सेवा समाप्त करने पर सहमति बन गई है। इनमें से एक नोएडा में और दूसरे यूपीसीडा कानपुर में बड़े पद रहे हैं।
इसके साथ ही 50 साल से ज्यादा के दागी या कामचोर अधिकारी-कर्मचारियों को सरकार अनिवार्य सेवानिवृत्ति देकर औद्योगिक विकास प्राधिकरणों से बाहर का रास्ता दिखाने की भी तैयारी में है। सबसे खास बात यह है कि लंबे समय से एक ही प्राधिकरण में जमे अफसरों-कर्मियों को भी इधर से उधर किया जाएगा। लेकिन नोएडा प्राधिकरण की तुलना में अन्य प्राधिकरणों में पद कम हैं, इसलिए सभी का तबादला संभव नहीं है। ऐसे में उनके पटल बदल दिए जाएंगे।