रिपोर्ट:खुशी पाल
पंजाब(Punjab) में विधानसभा सींट में कड़ी प्रतीस्पर्दा बनी हुई है। दरअसल, ये कड़ी प्रतीस्पर्दा कांग्रेस प्रधान नवोजोत सिंह सिद्धू(Navjot singh sidhu) और वरिष्ट नेता बिक्रम मजीठिया(Bikram Majithia) के बीच है। जैसा की हम सब जानते है पीछले कुछ दिन बिक्रम मजीठिया के लिए जटिलताओं से परिपूर्व साबित हुए है। ऐसे में ये देखने वाली बात है कि इस बार अमृतसर(Amritsar) विधानसभी सीट कौन जीतेगा?
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सिद्धू और बिक्रम के बीच कड़ी प्रतीस्पर्दा
पंजाब विधानसभा चुनाव की डेट पास आती जा रही है। ऐसे में सभी नेताओं के लिए जटिलताओं से भरी घड़ी सामने आ रही है। जैसा की हम सब जानते है पीछले कुछ दिन बिक्रम मजीठिया के लिए काफी कठिन साबित हुए है। पंजाब पुलिस लगातार कोशिश कर रही है कि बिक्रम मजीठिया को जल्द से जल्द वापस गिरफ्तार किया जाए। ऐसे में चुनाव में लड़ना और उसे जीतना बिक्रम मजीठिया के लिए काफी कठिन सिद्ध हो रहा है।
दिलचस्प होगा चुनाव
आपको बता दें कि इस बार प्रदेश कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू के खिलाफ शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ट नेता बिक्रम मजीठिया चुनाव मैदान में होंगे। वहीं, इस बार के चुनाव काफी दिलचस्प साबित होंगे क्योंकि यह पहली सीट है, जहां इस बार के विधानसभा चुनाव में दो दिग्गज खिलाड़ी आमने-सामने चुनाव लड़ेंगे। आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में लंबी सीट से कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रकाश सिंह बादल खड़े होंगे। तो वहीं, जलालाबाद से सुखबीर बादल के खिलाफ भगवंत मान चुनाव में खड़े होंगे।
इस बार के पंजाब विधानसभा चुनाव इसलिए भी दिलचस्प होने वाले है क्योंकि अमृतसर विधानसभा से इस बार सिद्धू और बिक्रम दोनो में से कोई भी हारेगा तो ये उसकी पहली हार होगी। दोनो ही नेताओं की चुनावी हिस्ट्री की बात करें तो मजीठिया लगातार अमृतसर की मजीठा सीट से लगातार 3 बार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। वहीं, सिद्धू आज तक कोई चुनाव नहीं हारे। लेकिन इस बात को पूरे यकीन से कहा जा सकता है कि इस बार जो भी चुनाव जीता, पार्टी और पंजाब की राजनीति में उस नेता का सियासी कद जरूर बढ़ जाएगा।
कौन सेफ खेल रहा है?
नवजोत सिद्धू और बिक्रम मजीठिया दोनो ही अमृतसर विधानसभा चुनाव के उम्म्दवार है। लेकिन फिर भी सिद्धू के लिए ये खतरा ज्यादा बना हुआ है क्योंकि सिद्धू सिर्फ इस्ट अमृतसर से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, मजीठिया अपनी पुरानी सीट मजीठा से भी चुनाव लड़ेंगे। सिद्धू हारे तो उनके पास हारने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा। वहीं, अगर बिक्रम हारे तो उनके पास मजीठा का दूसरा विकल्प भी मौजूद है।