{ वाराणसी से मदन मोहन शर्मा की रिपोर्ट }
कोरोनावायरस के दंश को पूरा विश्व झेल रहा है जिसका असर वाराणसी के घाटों पर भी देखा जा सकता है, काशी तो ऐसे मोक्ष की नगरी मानी जाती है ,लोग प्रदेश या देश से नही बल्कि विदेश से लोग आकर काशी में मोक्ष पाते है।
लेकिन आज उस मोक्ष की नगरी में कोरोनावायरस का असर साफ तौर पर देखा जा सकता है ,जहां मरणोपरांत पूर्वांचल ही नही बल्कि कई राज्यों से लोग शवदाह करने मणिकर्णिका घाट पर आते है.
डोम राजा और घाट पर स्थित दुकानदार की माने तो मणिकर्णिका घाट पर प्रतिदिन लगभग 100 से 150 शव प्रतिदिन आते थे लेकिन आज 15 से 20 शवों का शवदाह होता है।
काशी के इस घाट पर मान्यता है कि काशी के बाहर रहने वाले लोग यदि मृत्यु के बाद अपना अंतिम संस्कार इस घाट पर कराते हैं तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है मगर कोरोना वायरस ने इस मोक्ष के द्वार पर लॉक डाउन की पाबंदी लगा दी है।
गलियों के रास्ते से घाट पर जाने वाला मार्ग सूनसान पड़ा हुआ है और खाली पड़ी है चिता की कुंड जिस कुंड में मृत शरीर को जलाने के लिए लाइन लगी होती थी आज वो कुंड मृत शरीर का इन्तजार कर रही है।
इस घाट पर वाराणसी जनपद समेत अन्य शहरों के भी मृत शरीर अंतिम संस्कार के लिए आते थें और उनके परिवार के लोग इस घाट पर अपनों के मृत होने के बाद मोक्ष के लिए उनका अंतिम संस्कार करते थें लेकिन अब अन्य जनपद से शव न आने के कारण यहाँ संख्या कम हो गयी।