नई दिल्ली : उत्तराखंड के पौड़ी में इन दिनों मानसून सीजन के इस दौर में उन आपदा प्रभावितों पर संकट के बादल मंडरा रहे है, जिनके भवन पिछली बरसात में पूरी तरह से धराशाई होकर जमींदोज हो गई थी। ऐसे आपदा प्रभावितों को कुछ सालों तक जिला प्रशासन ने खाली पड़े सरकारी भवनों में ठहरने के लिए शरण तो दें दी, लेकिन अब उन्हें भवन खाली करने का नोटिस मानसून के इस समय में थमाये जाने लगे है।
नोटिस बना सरदर्द
नोटिस मिलने के बाद अब प्रभावितों को इस बात की चिंता हर दिन खाये जा रही है कि, इस बरसाती दौर में वे आखिर ठहरें कहा? पौड़ी जिले में भी एक ऐसा ही परिवार इस विकट संकट से इन दिनों जूझ रहा है, जिन्हें आपदा का मुआवाजा तक नसीब नहीं हो पाया और अब आपदा राहत में मिला भवन तक खाली करवाने के नोटिस प्रभावितों को जिला पंचायत विभाग द्वारा थमाये जा रहे हैं।
वहीं, संबंधित विभाग ने पुलिस को पत्र भेजकर भवन को अतिशीघ्र खाली करवाने को कहा है। जिससे प्रभावितों के अति शीघ्र जिला पंचायत के पुराने भवन से हटाया जा सके। वहीं, आपदा प्रभावित परिवार अब जिलाधिकारी से भवन को खाली करने के लिये 6 माह की और मोहलत मांग रहा हैं। वहीं, जिलाधिकारी ने बताया कि आपदा मानकों के तहत तय सीमा के लिये ही प्रभावितों को भवनों में ठहराया जाता है।
जिलाधिकारी ने बताई वजह
वहीं, समय सीमा पूरी होने के बाद इन भवनों को खाली करवाने की कार्यवाही अमल में लायी जाती है ताकि, आपदा के दौर में बेघर हो चुके अन्य बेसहारा परिवारों के ठहरने के व्यवस्था भी बनायी जा सके और उन्हें उचित स्थान पर ठहराकर शरण दी जा सके। जिलाधिकारी ने बताया कि, 6 माह तक परिवार को मोहलत दी जाये या नहीं इस पर वे विचार विमर्श करने के बाद ही फैसला करेंगे जबकि प्रभावितों को मुआवाजा किन कारणों से नहीं मिल पाया इसकी वे पड़ताल करवायेंगे।