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विकास दुबे फेमस है, इसीलिए उसके नाम पर मांग ली रंगदारी, गिरफ्तारी के बाद बोला बदमाश

By: RNI Hindi Desk 
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विकास दुबे फेमस है, इसीलिए उसके नाम पर मांग ली रंगदारी, गिरफ्तारी के बाद बोला बदमाश

विकास दुबे का नाम बहुत फेमस है, इसीलिए उसका नाम लेकर रंगदारी मांगी थी। बहुत बड़ी गलती हो गई। यह बात दो दिन पूर्व कानपुर में कम्प्यूटर कोचिंग संचालक को धमकाकर रंगदारी मांगने के आरोपित दीपेंद्र उर्फ रामठाकुर ने कही। उसे पुलिस ने टीपी नगर से गिरफ्तार कर लिया।

लखनऊ के एक कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट की किदवई नगर में शाखा है, जिसकी देखरेख आनंदपुरी निवासी रामाशीष करते हैं। उन्होंने जूही पुलिस को बताया कि दो दिन पूर्व बर्रा कर्रही निवासी रामठाकुर का फोन आया। उसने खुद को विकास दुबे का भाई बताया और 22 हजार रुपए मांगे। न देने पर जान से मारने की धमकी है। रिकार्डिंग भी जूही पुलिस को सौंपी थी। पुलिस ने बर्रा कर्रही निवासी दीपेंद्र उर्फ रामठाकुर के खिलाफ षडयंत्र रचने, रंगदारी मांगने और धमकाने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की। शनिवार देर रात पुलिस ने रामठाकुर को कैनाल पटरी टीपी नगर से गिरफ्तार कर लिया। इंस्पेक्टर जूही संतोष कुमार आर्या ने बताया कि आरोपित को कोर्ट में पेश किया गया जहां से उसे जेल भेज दिया गया।

शासन ने तलब कीं 29 असलहा लाइसेंस की फाइलें
शासन ने विकास दुबे व उसके करीबियों को जारी हुए 29 असलहा लाइसेंस की फाइलें तलब की हैं। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे, उसके भाई दीपक दुबे, प्रधान बहू अंजलि दुबे, करीबी कोटेदार दयाशंकर, फंड मैनेजर जय बाजपेई समेत करीबियों को 29 असलहा लाइसेंस जारी हुए हैं। विकास का लाइसेंस 2004 में निरस्त किया जा चुका है। बहू अंजलि दुबे का लाइसेंस निरस्त होने के बाद फिर बहाल कर दिया गया था। फंड मैनेजर जय बाजपेई निरस्त लाइसेंस रखकर चल रहा था, जबकि इसके रिव्यु पर सुनवाई डीएम कोर्ट में चल रही है। इसी बीच शासन ने असलहा लाइसेंस स्वीकृति समेत इनसे जुड़ी अन्य फाइलों की फोटोकॉपी मंगा ली है। इनमें से कई दबी फाइलों को असलहा विभाग के बाबुओं ने तलाशा। कई फाइलें बड़ी मशक्कत के बाद मिल पाई हैं।  

लाइसेंस मंजूर करने वालों की फंसेगी गर्दन
विकास दुबे व उसके करीबियों पर कई-कई मुकदमे होने के बावजूद असलहा लाइसेंस स्वीकृत किया गया। हत्या के मामले में आरोपित दीपक दुबे तक के पास लाइसेंस है। इसलिए चरित्र सत्यापन व लाइसेंस मंजूर करने वालों की गर्दन फंसनी तय है। लाइसेंस फॉर्म पर रिपोर्ट लगाने वालों पर भी कार्रवाई हो सकती है। एसआईटी भी बार-बार इतनी बड़ी संख्या में लाइसेंस स्वीकृति को लेकर अफसरों से सवाल-जवाब कर चुकी है।

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