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सॉल्वर गैंग के सरगना की तलाश में यूपी पुलिस का बिहार में छापा, भनक लगते फरार हुआ PK , लेकिन पुलिस के हाथ लगी ये सुराग

NEET सॉल्वर गैंग सरगना की तलाश में यूपी पुलिस ने बिहार पुलिस के साथ रविवार को पटना और छपरा में एक साथ छापेमारी की। लेकिन इस दौरान सॉल्वर गैंग (NEET Solver Gang) का सरगना पीके उर्फ नीलेश सिंह पुलिस के गिरफ्त में नहीं आ सका। क्योंकि इसकी भनक सॉल्वर गैंग के सरगना PK उर्फ नीलेश सिंह को पहले ही हो गई थी।

By: Amit ranjan 
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सॉल्वर गैंग के सरगना की तलाश में यूपी पुलिस का बिहार में छापा, भनक लगते फरार हुआ PK , लेकिन पुलिस के हाथ लगी ये सुराग

नई दिल्ली : NEET सॉल्वर गैंग सरगना की तलाश में यूपी पुलिस ने बिहार पुलिस के साथ रविवार को पटना और छपरा में एक साथ छापेमारी की। लेकिन इस दौरान सॉल्वर गैंग (NEET Solver Gang) का सरगना पीके उर्फ नीलेश सिंह पुलिस के गिरफ्त में नहीं आ सका। क्योंकि इसकी भनक सॉल्वर गैंग के सरगना PK उर्फ नीलेश सिंह को पहले ही हो गई थी। यही कारण है कि यूपी पुलिस की छापेमारी से पहले ही वह पटना छोड़कर दूसरे जगह चला गया। हालांकि, पहली बार दबिश के दौरान PK की तस्वीर पुलिस के हाथ लगी है।

नीट परीक्षा में धांधली के दौरान उजागर हुई सॉल्वर गैंग के मास्टर माइंड PK उर्फ नीलेश सिंह पटना के पाटलिपुत्र में रहता था। महंगी गाड़ियों का शौकीन PK अपनी कॉलोनी के लोगों को अपना परिचय डॉक्टर के रूप में देता था। उसने यहां चार मंजिला आलीशान मकान बनवाया है। पुलिस की छापेमारी के बाद पीके की असलियत जानकर आस पास के लोग काफी हैरान हैं। वहीं जब बिहार के छपरा जिले के सेंधवा गांव में पीके के पैतृक आवास पर पुलिस गई तब उसे यह जानकारी मिली कि स्थानीय लोग उसे एक बिजनेसमैन के रूप में जानते हैं।

सॉल्वर गैंग के सदस्य एक सिम का उपयोग सप्ताह भर से ज्यादा नहीं किया करते थे। इस बात की जानकारी वाराणसी पुलिस द्वारा गिरफ्तार के किए गए गैंग के सदस्य विकास कुमार महतो और राजू कुमार ने पुलिस को दी है। सॉल्वर गैंग के इन दोनों महत्वपूर्ण सदस्यों ने पुलिस को बताया कि सभी सदस्य फर्जी आईडी पर लिए गए सिम कार्ड का उपयोग करते थे और बातचीत के लिए मुख्य तौर पर व्हाट्सएप मैसेज और कॉल का ही सहारा लिया जाता था।

पुलिस को इन दोनों ने बताया कि उनका गिरोह अभ्यर्थियों के मूल शैक्षणिक प्रमाण पत्र और एडमिट कार्ड मंगवाने के लिए हमेशा एयर कूरियर सर्विस का इस्तेमाल करता था। इससे फायदा यह होता था कि कूरियर कंपनी का डिलीवरी ब्वॉय कभी उनके ठिकाने तक नहीं आ पाता था। जब भी कूरियर आता था वह एयरपोर्ट जाकर उसे खुद ही लेते थे।

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