रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली डिफेंस डायलॉग में भारत को ‘ड्रोन हब’ बनाने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की घोषणा की, जो न केवल देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को भी आगे बढ़ाएगा। इस कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि सरकार ने इस दिशा में अनेक पहल शुरू की हैं, जिससे भारत एक वैश्विक रक्षा प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में उभर सके।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने देश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए आईडीईएक्स (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) और एडीआईटीआई योजनाएं भी शुरू की हैं, जिनके तहत रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को सहयोग दिया जा रहा है।
राजनाथ सिंह ने ड्रोन और स्वार्म टेक्नोलॉजी की बढ़ती भूमिका का उल्लेख करते हुए इसे आधुनिक युद्ध शैली में “मौलिक परिवर्तन” के रूप में बताया। उनके अनुसार, यह विकास द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से युद्ध की पारंपरिक समझ को पुनः परिभाषित कर रहा है।
रक्षा मंत्री ने बताया कि मौजूदा समय में भारत 100 देशों में रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। 2023-24 में भारत के शीर्ष तीन रक्षा निर्यात गंतव्य अमेरिका, फ्रांस और अर्मेनिया जैसे देश रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2029 तक भारत 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का लक्ष्य हासिल करेगा।
इसके अलावा, साइबरस्पेस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में उन्नत तकनीकों के विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया गया। राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन इन क्षेत्रों में उन्नति के लिए नवीनतम aI ढांचे और दिशानिर्देशों का पालन कर रहा है। भारत साइबर सुरक्षा और एआई में उभरती प्रौद्योगिकियों का मुख्य केंद्र बनने के लिए प्रतिबद्ध है।
रक्षा और सुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने के लिए आयोजित किया गया एक प्रमुख मंच है, जो एमपी-आईडीएसए द्वारा संचालित है। इसका उद्देश्य भारत की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा तथा रक्षा रणनीतियों पर संवाद को बढ़ावा देना है।
इस आयोजन के जरिए भारत ने यह स्पष्ट किया है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे से निपटने के लिए ठोस रणनीतियाँ अपनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
This Post is written by shreyasi