जबलपुर, मध्य प्रदेश: तिरुमला मंदिर में प्रसादम को लेकर उठे विवाद पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का हस्तक्षेप देश के सभी मंदिरों की पूजा पद्धतियों में समाप्त होना चाहिए, क्योंकि धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का सही पालन वही कर सकते हैं जो संस्कृति से जुड़े हों। शंकराचार्य ने यह भी कहा कि मंदिरों का प्रबंधन धर्माचार्यों के हाथों में दिया जाना चाहिए, ताकि परंपराएं सुरक्षित रह सकें।
गौरतलब है कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनंद आज मध्य प्रदेश के जबलपुर प्रवास पर हैं। इसके बाद वे यहां से श्रीधाम जा रहे हैं और गौ रक्षा को लेकर एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू कर रहे हैं।
तिरुपति लड्डू विवाद पर शंकराचार्य का कड़ा रुख
शंकराचार्य ने तिरुपति लड्डू विवाद को भक्तों की भावनाओं से खिलवाड़ और एक गंभीर अपराध बताया। गुजरात की एक लैब रिपोर्ट के अनुसार, लड्डू में उपयोग किए गए घी में पशु चर्बी और मछली के तेल के उपयोग का दावा किया गया है। शंकराचार्य ने इसे हिंदू धर्म के खिलाफ एक साजिश करार दिया और कहा कि यह अपराध हत्या से भी बड़ा है।
उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों को तुरंत सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने आंध्र प्रदेश की पूर्व सरकार पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि यह हिंदू धर्म को भ्रष्ट करने की साजिश थी।
बद्रीनाथ और केदारनाथ को लेकर चिंता
शंकराचार्य ने बद्रीनाथ और केदारनाथ के मंदिरों में भी सरकार के हस्तक्षेप को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि “सरकार पारंपरिक लोगों को हटा रही है और सीधी भर्ती कर रही है, जिससे मंदिरों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।” जो लोग मंदिरों में काम करेंगे, वे इसे नौकरी के रूप में देखेंगे, न कि आस्था से।
गाय की रक्षा और राष्ट्रीय आंदोलन
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने गौहत्या को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन की घोषणा की है। उनका कहना है कि गाय की चर्बी का उपयोग करके नकली घी बनाया जा रहा है, जिससे हिंदू धर्म की पवित्रता को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। शंकराचार्य इस आंदोलन के तहत गाय को “राष्ट्र माता” घोषित करने की मांग कर रहे हैं।
तिरुपति प्रसाद विवाद: क्या है मामला?
आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में मिलावट का मामला सामने आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रसादम में पशु चर्बी और मछली के तेल के उपयोग का दावा किया गया है। इस खुलासे के बाद मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर श्रद्धालुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है।