हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण स्वच्छता को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य की ग्राम पंचायतें स्वच्छता शुल्क वसूलेंगी और खुले में कूड़ा फेंकने पर 200 से 500 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नीति 2024 को अधिसूचित कर दिया है।
नई नीति के तहत अब हर घर और व्यावसायिक प्रतिष्ठान में हरे, नीले और लाल रंग के कूड़ेदान अनिवार्य होंगे। इन डिब्बों में अलग-अलग प्रकार के कचरे को संग्रहित किया जाएगा, जिससे उसके निस्तारण में आसानी हो।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई वाणिज्यिक संस्था बार-बार आदेशों का उल्लंघन करती है, तो उसका व्यापार लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। यह सख्ती ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को प्रभावी बनाने के लिए की जा रही है।
नई नीति के तहत ग्राम पंचायतें स्वच्छता शुल्क लगाने के साथ-साथ 15वें वित्त आयोग के अनुदानों का उपयोग भी कर सकेंगी। इसके अलावा, पीपीपी (Public-Private Partnership) और सीएसआर (Corporate Social Responsibility) मॉडल के ज़रिए भी संसाधनों और संरचनाओं का विकास किया जाएगा।
खंड विकास अधिकारी (BDO) ब्लॉक स्तर पर गतिविधियों की निगरानी करेंगे, जबकि उपायुक्त (DC) राज्य को त्रैमासिक रिपोर्ट देंगे। साथ ही, PRI प्रतिनिधियों और सफाई कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण भी अनिवार्य किया गया है। नीति के सफल क्रियान्वयन हेतु ग्राम सभाओं और स्थानीय मीडिया के माध्यम से व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।
नई व्यवस्था के तहत नामित सफाई कर्मचारी हर दिन घर-घर जाकर कूड़ा एकत्रित करेंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई बनी रहेगी और ठोस अपशिष्ट का सही ढंग से निस्तारण संभव हो सकेगा।
This Post Is Written By Abhinav Tiwari (abhiniya2000@gmail.com)