रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने शनिवार 11 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होने अपना इस्तीफा राज्यपाल देवव्रत आचार्य को सौंपा। राज्य में एक साल बाद विधानसभा चुवान होने वाले हैं। चुनाव से ठीक डेढ़ साल पहले भारतीय जनता पार्टी चेहरा बदल दिया है। जो चौंकाने वाली बात है। हालांकि हम आपको अंदर की बात बतातें है कि उनको इस्तीफा क्यों देना पड़ा?
शनिवार सुबह सीएम विजय रुपाणी पीएम मोदी के साथ वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि शाम होते-होते उनको अपने पद से इस्तीफा देना पड़ जायेगा। सीएम रूपाणी को हटाए जाने की चर्चा काफी समय से चल रही थी। उनके इस्तीफे की सबसे बड़ी वजह रही कि वो भाजपा के गुजरात विजय के प्लान में फिट नहीं बैठ रहे थे।
आपको बता दें कि पिछले चुनाव में BJP गुजरात में बहुत मुश्किल से जीत हासिल की थी। चार साल कर बीजेपी किसी तरीके से मामला चलाते आई। अब, चुनाव को एक साल बचा है, पार्टी यहां कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। विजय रुपाणी के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीआर पाटिल का अध्यक्ष बनना हो गया। राजनीतिक पंडितो का मानना है कि अमित शाह के करीबी होने के कारण रूपाणी की कुर्सी अभी तक बची हुई थी। लेकिन सीआर पाटिल ने अब पार्टी से स्पष्ट कर दिया था कि अगर अगले साल चुनाव में बड़ी जीत हासिल करनी है तो फिर नेतृत्व परिवर्तन करना होगा।
इसके साथ ही विजय रूपाणी को पार्टी का चेहरा बनाकर पार्टी अगले चुनाव में नहीं उतरना चाहती थी। सबसे बड़ी वजह गुजरात का जातीय समीकरण है। विजय रूपाणी कास्ट न्यूट्रल थे, यही कारण है कि उनके रहते पार्टी के लिए जातीय समीकरण साध पाना मुश्किल हो रहा था। गुजरात के जातीय समीकरण को साधने के लिए ही कुछ समय पहले केंद्र के मंत्रिमंडल विस्तार में मनसुख मंडाविया को जगह दी गई थी।
बिजय रूपाणी के कुर्सी जाने का सबसे बड़ी वजह कोरोना की दूसरी लहर में मिसमैनेजमेंट भी रही सूत्रों का दावा है कि इसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खुश नहीं थी। अपने गृह प्रदेश में इस तरह की लापरवाही होती देख, पीएम मोदी काफी ज्यादा परेशान थे। यही वजह रही कि उन्होंने भी गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन पर कोई सवाल नहीं उठाया।