रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में वो कारनामा कर दिखाया है, जिसका देशवासी उम्मीद लगाये बैठे थे। भारतीय टीम मे ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर पहली बार ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंच गई है। वैसें तो भारतीय टीम की तरफ से गुरजीत कौर ने 22वें मिनट में गोल कर टीम को क्वार्टरफाइनल मुकाबला में जीत दर्ज कराई। लेकिन टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान देश की एक और बेटी सविता पूनिया का रहा।
वैसे तो आज की युवी पीढ़ी फिल्म सितारों के चकाचौध में डूबी हुई है। लेकिन बात करें भारतीय गोलकीपर सविता पूनिया की तो ये भी किसी अभिनेत्री से कम नहीं हैं। सविता पूनिया ने जिस तरीके से ऑस्ट्रेलियाई टीम के सामने दीवार बन कर खड़ी हो गई, ऐसा लग रह था, कि ऑस्ट्रेलियाई टीम के सामने द् वाल ऑफ इंडिया राहुल द्रविड खड़े हैं, और ऑस्ट्रेलियाई टीम हैरान होकर हार गई है।
गोलकीपर सविता पूनिया ने छठी कक्षा में हॉकी स्टिक को पहली बार पकड़ा था। लेकिन साल 2008 में हॉकी का अंतरराष्ट्रीय मैच पहली बार खेला था। इस दौरान एक साल बाद 2009 में जूनियर एशिया कप में सविता ने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी।
सविता पूनिया ने साल 2008 में जर्मनी में हॉकी टूर्नामेंट के बाद सविता ने हॉकी को ही अपने जीवन का आधार बना लिया। फिर कभी अपने से इसे दूर नहीं होने दिया। साल 2016 में ओलंपिक में भाग लिया, लेकिन वहां उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। हालांकि वह निराश ना होकर देश लौटकर और ज्यादा मेहनत करना शुरू कर दिया। जिसका ही परिणाम है कि 2021 में टोक्यो ओलंपिक में उनकी ही बौदलत ऑस्ट्रेलिया की टीम एक भी गोल नहीं दाग सकी।
11 जुलाई 1980 क जन्मी भारतीय गोलकीपर सविता के पिता महेंद्र पूनिया स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं दे रही हैं। वहीं उनकी मां लीलावती हाउसवाइफ हैं। उनके भाई भविष्य ने पढ़ाई में बीटेक किया हुआ है और वह एक कम्प्यूटर कोचिंग चला रहे हैं।