कमालरुख़ ख़ान ने सोशल मीडिया के ज़रिए यह खुलासा करके सनसनी मचा दी थी कि वाजिद का परिवार उन पर धर्मांतरण करने के लिए दबाव बना रहा है। कमालरुख़ के इस खुलासे के बाद कंगना रनोट ने उनके समर्थन में प्रधानमंत्री कार्यालय से पारसी समुदाय के संरक्षण और धर्मांतरण निषेध क़ानून पर पुनर्विचार करने की गुहार लगायी।
कंगना ने रविवार को यह ख़बर बाहर आने के बाद ट्वीट किये, जिनमें लिखा- इस देश में पारसी सही मायनों में अल्पसंख्यक हैं। वो हमलावरों के तौर पर नहीं आये थे। उन्होंने यहां शरण ली थी और भारत माता के प्यार की दरख्वास्त की। इनकी कम आबादा ने इस देश की ख़ूबसूरती, तरक्की और इकॉनमी में बड़ा योगदान दिया है।
वो मेरे स्वर्गीय दोस्त की विधवा हैं। एक पारसी महिला, जिसे उसके परिवार द्वारा धर्मांतरण के लिए उत्पीड़ित किया जा रहा है। मैं प्रधानमंत्री कार्यालय से पूछना चाहूंगी, जो अल्पसंख्यक सहानुभूति लेने का ड्रामा नहीं करते, सर क़लम नहीं करते, दंगा और धर्मांतरण नहीं करते… हम उनकी रक्षा कैसे कर रहे हैं? पारसियों की आबादा गंभीर रूप से घट रही है।
इससे भारत का एक मां होने के नाते, अपने ही बच्चे का चरित्र पता चल रहा है। जो बच्चा ग़ैरज़रूरी ड्रामा और हल्ला करता है, उसे सबसे अधिक फ़ायदा मिलता है। और जो काबिल, संवेदनशील, योग्य और दयालु है, वो उसके लिए आया बन जाता है, जो अधिक नख़रीला है। हमें धर्मांतरण निषेध क़ानून को फिर से देखने की ज़रूरत है।