रिपोर्ट : मो. आबिद
नई दिल्ली : दिल्ली में किसान आंदोलन को चलते हुए दो महीने से ज्यादा का समय गुजर चुका है और इस दौरान लाल किले पर हुई घटना के साथ साथ देश ने इन दो महीनों में बहुत कुछ देखा है। हर पल किसानों के प्रर्दशन में उतार चढ़ाव भी देखा है। इन्हीं सब घटनाओं के बीच एक ऐसी खबर सामने आई, जिसने बीजेपी प्रशंसकों को थोड़ी दुविधा में डाला है। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने बीजेपी नेता सुरेश राणा को चुनौती दी थी, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी मंत्री सुरेश राणा ने कहा है कि परिवार के साथ शक्ति परीक्षण नहीं किया जाता। सुरेश राणा ने कहा,‘‘ मैं खुद किसान का बेटा हूं और मैं यही कहूंगा कि परिवार के साथ कभी शक्ति परीक्षण नहीं होता।” बतादें की नरेश टिकैत ने बीजेपी सरकार को यूपी या हरियाणा के किसी भी मैदान में शक्ति प्रदर्शन की चुनौती दी थी।
नरेश टिकैत ने शक्ति प्रदर्शन की चुनौती देते हुए कहा था की पहले भारतीय जनता पार्टी पहले अपनी रैली कर ले फिर अगले दिन हम करेंगे और उन्हें रैली में हर मुद्दे पर फेल करके दिखाएंगे ।बीजेपी सरकार में गन्ना विकास एवं चीनी मिलों के मंत्री सुरेश राणा ने किसान आंदोलन को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें की जिसमें उन्होंने कहा की परिवार में शक्ति प्रदर्शन नहीं हुआ करता है।
सुरेश राणा ने किसान आंदोलन और कृषि कानून के मुद्दे पर कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नये कानून के जरिये किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक पहल की और उसके बावजूद यदि किसान भाइयों ने सवाल उठाये तो प्रधानमंत्री ने वार्ता के दरवाजे सदैव खुले रखे और दर्जनों दौर की बातचीत हुई,अभी हाल में मोदी जी ने कहा कि मैं एक फोन कॉल की दूरी पर हूं।’
किसानों की नाराज़गी के सवाल पर सुरेश राणा ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2013 में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब साहस के साथ इसे अमलीजामा पहनाया तो सराहना की बजाय उन लोगों ने किसानों को गुमराह करना शुरू कर दिया। राणा ने कहा कि किसान संगठनों के बीच जब ऐसे लोगों का प्रवेश हुआ तो दिशा बदल गई।