{ जितेंद्र की रिपोर्ट }
लॉकडाउन में भूख, प्यास, आंधी-पानी जैसी तमाम दुश्वारियों के बीच प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है।
दो जून रोटी कीं तलाश में मध्य प्रदेश से बिहार आये परिवार के साथ रवाना हुए प्रवासी मजदूरों के सामने तमाम समस्याएं बनी हुई है।
राजधानी लखनऊ के बीच से गुजरने वाले राष्ट्रीय राज मार्ग से प्रवासी मजदूरों का पलायन कर रहे है।
मध्य प्रदेश से बिहार में दो जून रोटी के इंतेजाम में गए मजदूरों को मुश्किल वक्त में ठेकेदार कंपनी के मालिकों ने इन मजदूरों को उनके उसी हाल में छोड़ कर भाग गए और मजदूरी भी नही दी।
अपने परिवारों के साथ ये मजदूर सैकड़ों की संख्या में बिहार से पलायन कर मध्यप्रदेश पैदल रवाना हो गए है।
बिहार से पैदल चल मध्यप्रदेश जा रहे इन मजदूरों का कहना है कि बिहार में सीवर पाइप डलवाने को लेकर ठेकेदार ने हम सभी को मजदूरी करने के लिए लाया था।
और लॉक डाउन होते ही वो भाग गया और एक महीने की मजदूरी भी नही दी और हम लोगों को बोला यहाँ से जाओ।
सर पर झोला लिए महिलाओं के साथ छोटे-छोटे बच्चों और परिवारों के साथ मध्य प्रदेश जा रहे मजदूर बिस्किट पानी के सहारे हजारों किलोमीटर का सफ़र तय कर रहे है।
इनके पैरों में छालों के साथ तमाम दर्दो की व्यथा है। रास्ते में कोई खाने को पूछ लेता है तो खा लेते है नही तो दो-दो दिनों तक भूखे ही यात्रा करना पड़ता है।
मजदूरों के आर्थिक व शारीरिक शोषण के विरुद्ध भारत मे प्रारंभ होने वाले “श्रमिक दिवस” आज भी सिर्फ उच्च वर्गों के लिए एक अवकाश दिवस से अधिक नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्दे को भारत मे भले ही मानते हुए 10 दशक बीत चुके है पर आज भी इस के मुख्य रूप से मजदूर पूरी तरह अनजान है।