खबरों के मुताबिक बीते वर्ष के अंत तक सूचीबद्ध कंपनियों के प्रमोटर के रूप में टाटा संस ने सरकार को भी पीछे छोड़ दिया है। इससे पहले पिछले दो दशकों तक सरकार ही सूचीबद्ध कंपनियों के मामले में देश की सबसे बड़ी प्रमोटर थी।
अपनी सूचीबद्ध कंपनियों में पिछले वर्ष टाटा संस की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत बढ़ गई, जिसका कुल मूल्य 9.28 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं, अपनी सूचीबद्ध कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी पिछले वर्ष के आखिर में 9.24 लाख करोड़ रुपये मूल्य की थी।
वहीं, पिछले एक वर्ष के दौरान अपनी सूचीबद्ध कंपनियों सरकार की हिस्सेदारी करीब 20 प्रतिशत गिर गई है। पिछले वर्ष दिसंबर के अंत में टाटा ग्रुप की सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 15.6 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा।
उससे पिछले वर्ष के अंत में यह 11.6 लाख करोड़ रुपये रहा था। वहीं, वर्ष 2019 के अंत में केंद्र सरकार की सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 18.6 लाख करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2020 के अंत में गिरकर 15.3 लाख करोड़ रुपये रह गया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि पिछले कुछ समय के दौरान ऑयल व गैस पीएसयू पर बड़ा दबाव रहा है और बैंकिंग उपक्रमों से भी पिछले वर्ष सरकार को कोई फायदा नहीं हुआ है।