कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए सुप्रीमकोर्ट द्वारा बनाई गई 4 सदस्यीय कमेटी को लेकर अब नया पेंच फंसता दिखाई दे रहा है। कमेटी के 4 सदस्यों के बारे में कहा जा रहा है कि वे सरकार को पहले ही लिख कर दे चुके हैं कि वे कृषि कानूनो का समर्थन करते हैं।
LIVE: Congress Party Briefing by Shri @rssurjewala, Gen. Secretary, AICC https://t.co/bTl9WtTm9F
— Congress (@INCIndia) January 12, 2021
कांग्रेस ने यह मामला उठाते हुए सवाल दागे हैं। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि पहले सदस्य कमेटी के हैं अशोक गुलाटी जी, उन्होंने बाक़ायदा ये लेख लिखा व कहा कि ये 3 कानून बिल्कुल रास्ता व सही चीज है, ये भी कहा कि विपक्षी दल भटक गए है व किसान भी शायद भटक गए है।
उन्होंने ये भी कहा कि मैं पहले से ही कह रहा हूं कि इन क़ानूनों के फायदे किसानों के समझ नहीं आ रहे!
पहले सदस्य कमेटी के हैं अशोक गुलाटी जी, उन्होंने बाक़ायदा ये लेख लिखा व कहा कि ये 3 कानून बिल्कुल रास्ता व सही चीज है, ये भी कहा कि विपक्षी दल भटक गए है व किसान भी शायद भटक गए है।
उन्होंने ये भी कहा कि मैं पहले से ही कह रहा हूं कि इन क़ानूनों के फायदे किसानों के समझ नहीं आ रहे! pic.twitter.com/ne8ocRSk2o
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 13, 2021
उन्होंने आगे कहा सुप्रीम कोर्ट ने जो संज्ञान लिया व चिंता जाहिर की वो स्वागत योग्य है।उनकी चिंता से हम भी अपने आपको जोड़ते है। किसानों से 3 काले कानून को खत्म करने वाली कमेटी के सदस्यो ने पहले ही ये कह दिया कि 3 कानून सही है,किसान गलत है,किसान भटके हुए है। ऐसी कमेटी किसानों से कैसे न्याय करेगी?
सुप्रीम कोर्ट ने जो संज्ञान लिया व चिंता जाहिर की वो स्वागत योग्य है।उनकी चिंता से हम भी अपने आपको जोड़ते है।
किसानों से 3 काले कानून को खत्म करने वाली कमेटी के सदस्यो ने पहले ही ये कह दिया कि 3 कानून सही है,किसान गलत है,किसान भटके हुए है।
ऐसी कमेटी किसानों से कैसे न्याय करेगी? pic.twitter.com/lFOyl4wDOv
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सुरजेवाला ने कहा हमारे देश में प्रजातंत्र के 3 स्तम्भ हैं – कानून बनाना और कानून खत्म करना विधायिका यानि संसद और प्रांतों में प्रांतों की ऐसेंबली का काम है और ये तीनों अंग इंडिपेंडेड हैं।
हमारे देश में प्रजातंत्र के 3 स्तम्भ हैं – कानून बनाना और कानून खत्म करना विधायिका यानि संसद और प्रांतों में प्रांतों की ऐसेंबली का काम है और ये तीनों अंग इंडिपेंडेड हैं। pic.twitter.com/WcuZwvAF3O
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उन्होंने आगे कहा सरकार हर बार अपनी ज़िम्मेदारी को टालती रही है और हद तो तब हो गई, जब 8वें राउंड की वार्तालाप के बाद देश के कृषि मंत्री, श्री नरेन्द्र तोमर जी ने आप सबके सामने कहा कि किसानों, अगर तुम्हें हम पर विश्वास नहीं, तो सुप्रीम कोर्ट चले जाईए।
सरकार हर बार अपनी ज़िम्मेदारी को टालती रही है और हद तो तब हो गई, जब 8वें राउंड की वार्तालाप के बाद देश के कृषि मंत्री, श्री नरेन्द्र तोमर जी ने आप सबके सामने कहा कि किसानों, अगर तुम्हें हम पर विश्वास नहीं, तो सुप्रीम कोर्ट चले जाईए। pic.twitter.com/mlSjXxJioD
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सुरजेवाला बोले देश का किसान केवल एक मांग कर रहा है और वो मांग है 3 काले कानून खत्म करिए। पहले दिन से ही, जब रात के अंधेरे में अध्यादेश आया था, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग स्पष्ट है कि ये 3 काले कानून किसान विरोधी हैं, खेत और खलिहान विरोधी हैं और इन्हें फौरी तौर से खत्म करना चाहिए।
देश का किसान केवल एक मांग कर रहा है और वो मांग है 3 काले कानून खत्म करिए।
पहले दिन से ही, जब रात के अंधेरे में अध्यादेश आया था, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग स्पष्ट है कि ये 3 काले कानून किसान विरोधी हैं, खेत और खलिहान विरोधी हैं और इन्हें फौरी तौर से खत्म करना चाहिए। pic.twitter.com/49ert4hn1U
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 12, 2021
उन्होंने कहा 49 दिन से अधिक से लाखों किसान दिल्ली की सीमा पर न्याय की गुहार मांग रहे हैं। 66 से अधिक किसानों ने अभी तक दिल्ली की सीमाओं पर दम तोड़ दिया, अपनी कुर्बानी दे दी, पर देश के प्रधानमंत्री, माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने आज तक सांत्वना का एक शब्द देश के अन्नदाता किसान के लिए नहीं कहा।
49 दिन से अधिक से लाखों किसान दिल्ली की सीमा पर न्याय की गुहार मांग रहे हैं।
66 से अधिक किसानों ने अभी तक दिल्ली की सीमाओं पर दम तोड़ दिया, अपनी कुर्बानी दे दी, पर देश के प्रधानमंत्री, माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने आज तक सांत्वना का एक शब्द देश के अन्नदाता किसान के लिए नहीं कहा। pic.twitter.com/brQy2tDoVc
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आप को बता दे कि इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कमेटी पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया। राहुल गांधी ने कहा, क्या कृषि-विरोधी क़ानूनों का लिखित समर्थन करने वाले व्यक्तियों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है? ये संघर्ष किसान-मज़दूर विरोधी क़ानूनों के ख़त्म होने तक जारी रहेगा। जय जवान, जय किसान!