रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद का हमेशा समर्थन करने के साथ-साथ आगे बढ़ाने वाले नेता सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार रात 92 साल की उम्र में निधन हो गया। गुरुवार सुबह पांच बजे ही उनको सुपुर्द ए खाक कर दिया गया। गिलानी का अंतिम संस्कार जम्मू कश्मीर के हैदरपोरा में किया गया।
आपको बता दें कि परिवार चाहता था कि गिलानी का अंतिम संस्कार सुबह 10 बजे किया जाए परिवार वाले रिश्तेदारों को बुलाना चाहते थे। लेकिन उनको इसकी इजाजत नहीं दी गई।
लगभग तीन दशकों से ज्यादा समय तक गिलानी अलगाववादी मुहिम का नेतृत्व किए थे। अब उनके निधन के बाद हालातों पर भी सुरक्षाबलों की नजर है। कश्मीर घाटी में कुछ पाबंदियां भी लगा दी गई हैं। इन पाबंदियों में घाटी में इंटरनेट सेवा बंद होना भी शामिल है। ऐसा किसी भी तरह की अफवाह को फैलने से रोकने के लिए किया गया है।
गिलानी 92 साल के थे। उनके परिवार में उनके दो बेटे और छह बेटियां हैं। उन्होंने 1968 में अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद दोबारा शादी की थी। गिलानी पिछले करीब 20 साल से गुर्दे संबंधी बीमारी से पीड़ित थे।
गिलानी के निधन पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए शोक व्यक्त किया है। जबकि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि वह गिलानी के निधन की खबर से दुखी हैं। इन सब के बाद पाकिस्तान ने अपना आधा झंड़ा झुका दिया है। पाकिस्तान को लगता है कि ऐसा करने से वो घाटी में एक बार फिर उन्माद पैदा कर पायेगा।