नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के अन्य हिस्सों में रथ यात्रा की अनुमति की मांग वाली याचिकाओं को खारिज़ कर दिया है और सरकार के आदेश को सही बताया है। इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आशा करते हैं कि भगवान अगले साल रथयात्रा की इजाजत देंगे। बता दें कि सरकार के आदेश के तहत सिर्फ पुरी में ही रथयात्रा निकालने का आदेश है। बाकी हिस्सों में सिर्फ मंदिर के भीतर पूजा की अनुमति है।
मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायधीश ने कहा कि मैं भी पुरी जाना चाहता हूँ। आशा है अगले साल भगवान सभी रस्म पूरा करने की अनुमति देंगे। बता दें कि इस साल वार्षिक रथयात्रा उत्सव श्रद्धालुओं की भीड़ के बगैर ही होगा और उन्हें रथ के मार्ग में छतों से भी रस्म देखने की अनुमति नहीं होगी। पुरी के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा ने कहा कि प्रशासन ने अपने फैसले की समीक्षा की है और रथयात्रा का दृश्य घरों एवं होटलों की छतों से देखने पर भी पाबंदी लगा दी गयी है।
उन्होंने कहा कि 12 जुलाई को होने वाले इस उत्सव से एक दिन पहले पुरी शहर में कर्फ्यू लगाया जाएगा जो अगले दिन दोपहर तक प्रभाव में रहेगा। वर्मा ने कहा कि भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ का यह उत्सव कोविड-19 महामारी के चलते लगातार दूसरे वर्ष बिना श्रद्धालुओं की भागीदारी के मनाया जा रहा है। उन्होंने शहर के लोगों से टेलीविजन पर इस उत्सव का सीधा प्रसारण देखने की अपील की।
कोविड-19 को लेकर ओडिशा सरकार के प्रमुख प्रवक्ता सुब्रतो बागची ने कहा, ‘‘भगवान जगन्नाथ के पृथक-वास का उदाहरण लोगों द्वारा अच्छी तरह से स्वीकार किया जाता है और यह उन्हें घर के अंदर रखता है। राज्य सरकार ने एक नारा भी गढ़ा है-‘घरे रुकंतु सुस्थ रूहंतु’ (घर में रहें, स्वस्थ रहें)।
उन्होंने लोगों को जांच में कोविड-19 संक्रमित पाये जाने पर पृथक-वास में जाने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा कि, ‘‘अनासर’’ (पृथक-वास) ओडिया संस्कृति और परंपरा का एक अहम हिस्सा है। पृथक-वास का अर्थ है संक्रमितों की आवाजाही को प्रतिबंधित करना ताकि संक्रमण दूसरों में न फैले।