नई दिल्ली : राजस्थान की गहलोत सरकार लगातार किसी ने किसी कारण से सुर्खियों में रहती है, चाहे वो आपसी कलह को लेकर हो या अपने द्वारा उठाए गए कदमों से। हालांकि कई बार उन्हें अपने कदमों को भी पीछे खिंचना पड़ा था। आपको बता दें कि एक बार फिर गहलोत सरकार के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। इसे लेकर उन्हें काफी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था।
सितंबर महीने में पास किया था बिल
आपको बता दें कि राजस्थान की गहलोत सरकार ने बाल विवाह रजिस्ट्रेशन बिल (Rajasthan Child Marriage Registration Bill) वापस ले लिया है, जो पिछले ही महीने सितंबर में विधानसभा से पारित किया गया था। लेकिन इस पर बाद में प्रदेश के तमाम सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने हंगामा करते हुए विरोध जताया था। जिसके बाद प्रदेश के राज्यपाल ने इस बिल को अपने पास रखा था। अब मुख्यमंत्री गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने यू-टर्न लेते हुए बिल को वापल लेने का ऐलान कर दिया है।
विवाहों के अनिवार्य पंजीयन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की भावना के अनुरूप ही राजस्थान विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक,2021 लाया गया है।परंतु बाल विवाह को लेकर जो गलत धारणा बन गयी है,तो हम बिल को माननीय राज्यपाल महोदय से अनुरोध करेंगे कि इसे सरकार को पुनः लौटा दें
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 11, 2021
राज्यपाल से किया बिल को लौटाने का अनुरोध
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विवाहों के अनिवार्य पंजीयन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की भावना के अनुरूप ही राजस्थान विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 लाया गया है। परंतु बाल विवाह को लेकर जो गलत धारणा बन गयी है,तो हम बिल को माननीय राज्यपाल महोदय से अनुरोध करेंगे कि इसे सरकार को पुनः लौटा दें।
क्या था बाल विवाह एक्ट
बता दें कि 17 सितंबर को गहलोत सरकार ने विधानसभा में जो बाल विवाह पारित किया था। इसके अंतर्गत अगर राजस्थान में कोई लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़के की उम्र 21 से कम है तो उसके माता-पिता को 30 दिन के अंदर इसकी सूचना रजिस्ट्रेशन अधिकारी को देनी होगी। इसके आधार पर रजिस्ट्रेशन अधिकारी उस बाल विवाह को रजिस्टर्ड करेगा। यह रजिस्ट्रेशन पहले जिला स्तर पर होता था, लेकिन गहलोत सरकार ने इसे ब्लॉक लेवल करने के आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की गई थी याचिका
इस बिल के बाद प्रदेश के विपक्षी दल बीजेपी ने बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान का जमकर विरोध किया था। इतना ही नही विधानसभा का वॉकआउट भी कर दिया था। तभी से लेकर अब तक इस बिल को लेकर विरोध हो रहा था। इतना ही नहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने राजस्थान सरकार को पिछले दिनों चिट्ठी लिखी थी। आयोग ने विधेयक के प्रावधानों पर फिर से विचार करने और समीक्षा करने को कहा था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है।