रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: भारत और चीन के सीमा विवाद को लेकर राहुल गांधी लगातार बीजेपी सरकार पर हमला बोल रहें हैं। गुरुवार को राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि “पैंगोंग झील को लेकर हुए समझौते के मुताबिक, चीन अपनी सेना को फिंगर 8 से पूर्व की ओर रखेगा। इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकिड़यों को फिंगर 3 के पास अपने परमानेंट बेस पर रखेगा।”
जिसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदुस्तान की जमीन चीन को पकड़ाई है, यह सच्चाई है। मोदी इसका जवाब दें। मोदी जी ने चीन के सामने सिर झुका दिया है। जो रणनीतिक क्षेत्र है जहां चीन अंदर आकर बैठा है उसके बारे में रक्षा मंत्री ने एक शब्द नहीं बोला।“ वहीं सरकार का कहना है कि, चीन को भारत की एक इंच भी जमीन नहीं दी गई है।
शुक्रवार को सदन में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने “राहुल गांधी के आरोपो पर पलटवार करते हुए कहा कि इस बारे में उन्हें जवाहर लाल नेहरू से पूछना चाहिए जिन्होंने भारत की जमीन चीन को दे दी थी। रेड्डी ने कहा कि कौन देशभक्त है और कौन नहीं जनता को सब पता है। राहुल ने पीएम मोदी को तो इस मुद्दे पर सुना दिया पर वह ये भूल गए की चीन ने जब भारत की करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर की जमीन कब्जाई थी उस समय जवाहर लाल नेहरू ही देश के प्रधानमंत्री थे। चीन के कब्जे में भारत की कितनी जमीन है और भारत और चीन के बीच अक्साई चीन को लेकर विवाद का क्या इतिहास है।“
आपको बता दें कि गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी सेना के ग्राउंड सिचुएशन की जानकारी देते हुए कहा था कि साल 1962 के संघर्ष में चीन ने अनधिकृत तरीके से लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश की करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि कब्जाई थी।
वहीं पाकिस्तान ने अनधिकृत तरीके से POK में भारत की 5180 वर्ग किलोमीटर भूमि को चीन को दे दी है। यह जमीन पाकिस्तान ने सीमा समझौते के तहत चीन को सौंपी थी। इस तरह चीन का 43 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक भारत की जमीन पर अवैध कब्जा है। जबकि साल 1962 में जब चीन ने भारत की 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन कब्जाई तो उस समय जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे।
आपको बता दें कि साल 1957 के अक्टूबर महीने में और फरवरी 1958 के बीच खबर आई थी कि चीनी सैनिक अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर भारत की सीमा में आ गये हैं। जिसपर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने 28 अगस्त, 1959 को लोकसभा में एक बयान देते हुए कहा था कि पूर्वी और उत्तर-पूर्वी लद्दाख में एक बड़ा क्षेत्र है जो व्यावहारिक रूप से निर्जन है। यह पहाड़ी है, और यहां तक कि घाटियां भी आमतौर पर 13,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर हैं। चरवाहे गर्मियों के महीनों में इसका इस्तेमाल पशुओं को चराने के लिए करते हैं। इस क्षेत्र में भारत की कुछ पुलिस चौकियां हैं।
मौजूदा समझौता के अनुसार दोनों देश पूर्वी लद्दाख में पैंगोग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर पर तैनात सैनिकों और युद्धक साजोसामान को फेज वाइज हटाएंगे। चीन अपने सैनिकों को फिंगर 8 से पीछे करेगा और भारत के सैनिक फिंगर 3 के पीछे अपने परमानेंट बेस धन सिंह थापा पोस्ट पर जाएंगे।
फिंगर 4 से फिंगर 8 तक नो मैन्स लैंड है। पहले यहां भारत और चीन दोनों देशों के सैनिक पट्रोलिंग करते थे। दोनों देश परंपरागत स्थानों की पट्रोलिंग अस्थाई तौर से स्थगित रखेंगे। पेट्रोलिंग तभी शुरू की जाएगी, जब सेना और राजनयिक स्तर पर आगे बातचीत करके समझौता होगा।