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प्री-मानसून की बारिश ने सब्जियों की फसलों को जबरदस्त पहुंचाया नुकसान, पढ़ें

टमाटर की कीमतों  में एक बार फिर से बढ़ने की संभावना है। इसका कारण है महाराष्ट्र के कोल्हापुर और आसपास के जिलों में प्री-मानसून की बारिश ने सब्जियों की फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है।

By: RNI Hindi Desk 
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प्री-मानसून की बारिश ने सब्जियों की फसलों को जबरदस्त पहुंचाया नुकसान, पढ़ें

टमाटर की कीमतों  में एक बार फिर से बढ़ने की संभावना है। इसका कारण है महाराष्ट्र के कोल्हापुर और आसपास के जिलों में प्री-मानसून की बारिश ने सब्जियों की फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है।

इसी कारण यहां अब कटाई भी स्थगित कर दी गई है। इसका असर टमाटर की फसल पर भी साफ देखा जा रहा है। यहां के सब्जी मंडियों में दूर-दूर से किसान अपनी उपज बेचने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन रविवार को ज्यादा किसान टमाटर या पत्तेदार सब्जियां बेचते नहीं दिखे।

 

जो भी किसान टमाटर बेच रहा था, वह या तो खराब हो गया या कच्चा था। इस वजह से यहां टमाटर 100 रुपये प्रति किलो बिकने लगा है। बता दें कि पिछले दिनों ही सब्जियों खासकर टमाटर की कीमत में काफी तेजी आई थी। ऐसे में एक बार फिर से टमाटर की कीमतें आसमान छू सकती हैं।

कोल्हापुर के एक किसान के मुताबिक, 15 मई के बाद से टमाटर 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिका है। इससे पहले 30-40 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा था। आपूर्ति कम होने के कारण रविवार को करीब 15 किलो टमाटर ही मिल सका है।

आमतौर पर किसानों से चार से पांच क्रेट मिलते हैं। अब किसान परिवहन और श्रमिकों की लोडिंग और अनलोडिंग के लिए अतिरिक्त लागत की वसूली के लिए भी उच्च कीमत की मांग कर रहे हैं।

बता दें कि पिछले साल इसी दौरान टमाटर 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा था और जून के अंतिम सप्ताह तक भाव 100 रुपये प्रति किलो बढ़ गया था। इसके बाद कीमत घटकर 10 रुपये प्रति किलो रह गई। हरी और पत्तेदार सब्जियां एक समान ट्रैक पर चल रही हैं। मेथी का एक गुच्छा जो पिछले रविवार को 15 रुपये में बिक रहा था, 22 मई को खुदरा बाजार में 25 रुपये में बिक रहा था।

वही एक खुशी की खबरस है केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोशल मीडिया पर दी. उन्होंने अपने आधिकारिक ट्वीट में लिखा, “इस वर्ष, हम प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना के 9 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को ₹ 200 प्रति गैस सिलेंडर (12 सिलेंडर तक) की सब्सिडी देंगे. इससे हमारी माताओं और बहनों को काफी मदद मिलेगी. इससे सालाना लगभग ₹6100 करोड़ का राजस्व प्रभावित होगा.”

 

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