यह है गढ़वा का किला। यह किला प्रयागराज जिले से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बताया जाता है कि शंकरगढ़ के शिवराज में गढ़वा एक स्थान है।जहां पर यह किला स्थित है।इस किले का निर्माण बघेल राजा विक्रमादित्य द्वारा कराया गया था।
इसकी एक दीवार तो अभी भी 300 फुट लंबाई तक सदियों के वक्त का थपेड़ा सहने के बावजूद महफूज बची हुई है। किला परिसर के चारों कोनों पर बुर्ज हैं, जिन पर सीढिय़ों के सहारे चढऩे का रास्ता है।
इन बुर्जों से किले की चारों तरफ निगहबानी की जाती होगी। पिछले 1500 सालों से मूक रहकर भी स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट स्थल गढ़वा का किला विश्वप्रसिद्ध गुप्त वंश के राजाओं की वैभवगाथा बयान कर रहा है।
गढ़वा दुर्ग एक पंचकोणीय प्रस्तर निर्मित परकोटा है, जिसके अंदर मंदिरों के अवशेष विद्यमान हैं। इसकी ऊंची रक्षा प्राचीर गढ़वा दुर्ग को सुरक्षात्मक स्वरूप प्रदान करती है। इसका निर्माण बारा के बघेल राजा विक्रमादित्य ने सन् 1750 में कराया था।
इस स्थल से प्राप्त प्राचीनतम अवशेष गुप्तकालीन हैं। इसमें मंदिरों के भग्नावशेष भी हैं। इस स्थल से चंद्रगुप्त, कुमार गुप्त और स्कंदगुप्त के काल के सात अभिलेख प्राप्त हुए हैं।
मंदिर में गुप्त काल से संबंधित कई अवशेष हैं, जो 5 वीं और 6 वीं शताब्दी के पुराने हैं। किले में सबसे उल्लेखनीय वस्तु भगवान विष्णु के सभी 11 अवतारों का प्रतिनिधित्व करती है , जो 11 वीं या 12 वीं शताब्दी से संबंधित है।
किले के पश्चिमी भाग में गर्भगृह व स्तंभयुक्त मंडप वाला मंदिर तथा पूर्वी भाग में दो भव्य जलाशय हैं। इसके अतिरिक्त यहां मध्यकालीन अनेक भवनों के अवशेष भी दर्शनीय है। गढ़वा, रामनगर से बड़ी संख्या में प्राप्त मूर्तियां जो गुप्तकाल से लेकर मध्यकाल तक से संबंधित हैं, यहां मूर्ति शाला में संग्रहीत हैं।