रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: देश के सिरमौर कश्मीर में एक बार फिर हलचल शुरु हो गई है। घबराइये मत ये हलचल किसी घुसपैठ या ऑपरेशन से नहीं उठी है। बल्कि इस बार यहां की सियासत में हलचल हो गई है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से वहां मचा राजनीतिक उठापटक अब खत्म होने की कगार पर है। पीएम मोदी ने 24 जून को जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को मीटिंग के लिए बुलाया है। सूत्रों की मानें तो जम्मू-कश्मीर के नेताओं को अनौपचारिक न्योता भेजा जा चुका है। इस बार की पुष्टी PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने की है।
आपको बता दें कि महबूबा ने बताया है कि उन्हें मीटिंग के लिए अनौपचारिक रूप से न्योता मिला है और वो पार्टी नेताओं से इस पर चर्चा कर रही हैं। रविवार को महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी नेताओं की एक बैठक बुलाई है, जिसमें 24 जून को पीएम मोदी के साथ होने वाली मीटिंग पर शामिल होने को लेकर चर्चा होने की संभावना है। इसी मीटिंग में तय होगा कि पीएम के साथ होने वाली मीटिंग में पीडीपी शामिल होगी या नहीं।
कयास लगाया जा रहा है कि पीएम के साथ मीटिंग में जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और दूसरे जरूरी मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। जम्मू-कश्मीर के एक सीनियर ने बताया, “हमें जानकारी मिली है. हम अभी नहीं जानते कि किस बारे में मीटिंग है, लेकिन हम औपचारिक निमंत्रण का इंतजार करेंगे और उसके बाद ही कोई फैसला लेंगे।”
जबकि जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष जीए मीर ने कहा कि उन्हें अब पीएम के साथ होने वाली मीटिंग को लेकर कोई जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने आगे कहा कि, “हमें पीएम के साथ होने वाली ऑल पार्टी मीटिंग को लेकर कोई जानकारी नहीं मिली है। अगर हमें मीटिंग का न्योता मिलता है, तो हम राष्ट्रीय नेताओं को बता देंगे। उसके बाद सलाह-मशविरा लिया जाएगा। हम केंद्र की ओर से बातचीत के तरीके की सराहना करते हैं।”
इससे पहले शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह ने NSA अजित डोभाल और जम्मू-कश्मीर के गवर्नर मनोज सिन्हा समेत टॉप सिक्योरिटी और इंटेलिजेंस के अधिकारियों के साथ मीटिंग की थी।
आपको बता दें कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को ध्वस्त कर दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला समेत घाटी के हजारों नेताओं को महीनों तक हिरासत में रखा गया था। तब से ही यहां राजनीतिक में उठा-पटक जारी है।