रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: देव भूमि उत्तराखंड में रविवार को नंदादेवी ग्लेशियर के टूटने की वजह से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई। आपको बता दें इस आपदा में 200 से अधिक लोग लापता हो गये हैं। जबकि इस भारी त्रासदी में 16 लोगो ने अपनी जान गंवा दी है। ग्लेशियर फटने से मची तबाही के कारण कई पॉवर प्रोजेक्ट पर असर पड़ा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस आपदा की भविष्य़वाणी साल 2019 में ही कर दी गई थी। जी हां चौकिए मत हम आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला।
दो साल पहले साल 2019 में एक्सपर्ट्स ने इस आपदा की भविष्यवाणी कर दी थी। एक स्टडी के मुताबिक इस बात को पब्लिश किया गया था कि हिमालय के ग्लेशियर दो गुना तेजी से पिघल रहे हैं। जिसको किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। इस बात को उसी वक्त गंभीरता से ले लिया गय़ा होता तो ये हादसा टाला जा सकता थ। रविवार को जोशीमठ में हुए इस हादसे के कारण हिमालय के नीचले इलाकों में भीषण बाढ़ आ गई। आपको बता दें कि 40 साल की स्टडी के बाद भविष्यवाणी हुई थी।
साल 2019 के जून महीने में एक जर्नल में छपी इस रिपोर्ट्स में एक्सपर्ट्स ने बताया था कि साल 2000 से ग्लेशियर से डेढ़ फुट बर्फ पिघल रही है। इसकी रफ्तार साल 1975 की तुलना में दोगुनी रहेगी। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पीएचडी कैंडिडेट जोशुआ मौरेर भी इस स्टडी का हिस्सा थे। उन्होंने कहा था कि “सैटेलाइट पिक्चर्स साफ़ बता रहे हैं कि बर्फ पिघलने की रफ़्तार काफी तेज हो रही है और इससे काफी भयानक आपदा आ सकती है।“
आपको बता दें कि हिमालय के आसपास बढ़ती आबादी की वजह से ग्लेशियर्स तेजी से पिघल रहे थे। साल 1975 से साल 2000 की तुलना में साल 2016 तक हर साल एक डिग्री सेल्सियस ज्यादा तापमान में बढ़ोतरी हुई। रिसर्चर्स ने हिमालय के 650 ग्लेशियर्स पर नजर रखी थी।
इस रिसर्च में कहा गया था कि “अगर हिमालय के इन इलाकों में बढ़ती जनसँख्या पर रोक नहीं लगाया गया, तो नतीजा काफी बुरा होगा। लेकिन किसी ने इस स्टडी पर ध्यान नहीं दिया।“
उस समय ही इस स्पीड के आधार पर ही भारी तबाही की भविष्यवाणी की गई थी। हिमालय के इन इलाकों में लोग बसते गए और तापमान में वृद्धि होती गई। इस वजह से ग्लेशियर का हिस्सा टूटा और ये आपदा आ गई।