सात साल तीन माह और 4 दिन के लंबे इंतजार के बाद निर्भया को अखिरकार आज इंसाफ मिल गया है। आज सुबह तड़के 5ः30 बजे चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया गया। इसके साथ ही देश में इंसाफ को लेकर खुशी का माहौल बना है। निर्भया के लिए इस लड़ाई में उसे इंसाफ दिलाने के लिए देश की जो बेटी खड़ी रही और उसे न्याय दिलाने में अपने हर कानूनी दांव पेंच का इस्तेमाल किया है। उस बेटी को भी आज पूरा देश बधाई दे रहा है।
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की रहने वाली सीमा कुशवाह ने दिल्ली विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई की है। निर्भया के साथ जब साल 2012 में मानवता को शर्मशार कर देने वाली घटना हुई थी, उस समय सीमा कोर्ट में टेªनिगं कर रही थी। इस घटना की जानकारी मिलते ही सीमा ने निर्भया के लिए निःशुल्क केस लड़ने की घोषणा की थी। यह उनके करियर का पहला केस था, जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम दिया।
सीमा निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष करती रही। निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च अदातल तक सीमा ने हर सुनवाई में निर्भया के लिए दलीलें पेश करती रहीं। सीमा इन सात सालों में सीमा सिर्फ कोर्ट ही नहीं, बल्कि कोर्ट से बाहर भी निर्भया के परिवार वालों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी दिखी।
सीमा कहती है कि निर्भया का केस लड़ना उनके लिए भी एक बड़ी चुनौती थी। इस लडाई के दौरान निर्भया की मां के साथ उनका एक भावनात्मक संबंध बन गया है।