रिपोर्ट – माया सिंह
म्यांमार : पड़ोसी देश म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के खिलाफ लोग सड़को पर उतर आये है और जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं । इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों की सेना की गोली से मौत हो चुकी है लेकिन दिन बुधवार को जो हुआ उसने पूरी दुनिया को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है । पुलिस ने 24 मार्च को एक 7 साल की बच्ची की जान ले ली । सभी देखकर भावूक हो गये कि पुलिस ने उस वक्त गोली चला दी जब बच्ची अपने पिता के गले लगने के लिये अचानक दौड गई ।
सबसे पहले आपको बता दें कि 1 फरवरी को सेना ने चुनी हुई सरकार की तख्तापलट कर दिया । जिसके तहत वास्तविक नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया और एक साल के लिए इमरजेंसी का ऐलान किया है । सेना का आरोप है कि चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी, हालांकि वो अब तक सबूत नहीं दे पाई है ।
समाचार एजेंसी रिपोर्ट के मुताबिक इस सैन्य तख्तापलट के विरोध में हो रहे प्रदर्शन में सेना की गोली से जान गवाने वालों में यह सबसे कम उम्र की पीड़िता पाई गयी है । माइन शहर में खिन मायो चित के परिवार ने मीडिया के सामने बताया कि प्रदर्शनकारियों के खोज में पुलिस ने अचानक उनके घर पर छापा डाला बड़ी बेटी से पिता के बारे में पुछा । जब लड़की ने बताया कि घर में कोई नहीं है तो झूठ बोलने के आरोप में उसकी पीटाई करने लगे । जिससे डरकर छोटी बेटी अपने पापा के गोद में छिपने के लिये दौड़ी उसी दौरान पुलिस ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी ।
वहां के लोगों का कहना है कि तख्तापलट के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सेना लगातार अपने बल को बढ़ा रही है और निर्मम कार्रवाई कर रही है । राइट्स ग्रुप सेव द चिल्ड्रेन ने बताया है कि अब तक जितने भी लोग मारे गये है उनमें 20 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं । मिले जानकारी के अनुसार इस प्रदर्शन में कुल 164 लोग मारे गये है जबकि असिस्टेंट एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स (AAPP) एक्टिव एक्टिविस्ट ग्रुप का दावा है म्यांमार में अब तक सेना की गोलियों से कम से कम 261 लोगों की मौत हो चुकी है ।
इसके अलावा सेव द चिल्ड्रेन ने चिंता भी जताया कि घर में रहने के बावजूद जिस तरह से हत्या हो रही है उससे पता चलता है कि सेना को लोगों की जान की कोई परवाह नहीं है औऱ यह देश के लिये चिंता की विषय है।