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जी के साथ 22 साल के सफर को दिलीप तिवारी ने लगाया विराम…

एक अध्ययनशीरल विचारक, कलम के धनी, दार्शनिक, चिंतक, लेखक और वरिष्ठ पत्रकार दिलीप तिवारी ने आखिरकार 22 साल से ज्यादा ‘जी मीडिया’ के साथ अपने सफर को अब विराम लगा दिया है।

By RNI Hindi Desk 
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नोएडा: एक अध्ययनशीरल विचारक, कलम के धनी, दार्शनिक, चिंतक, लेखक और वरिष्ठ पत्रकार दिलीप तिवारी ने आखिरकार 22 साल से ज्यादा ‘जी मीडिया’ के साथ अपने सफर को अब विराम लगा दिया है। फिलहाल 2 साल से ज्यादा दिलिप तिवारी क्लस्टर-3 के CEO पद पर थे, जिसे अब उन्होंने छोड़ दिया है। इस क्लस्टर में ‘जी यूपी-उत्तराखंड’, ‘जी एमपी-छत्तीसगढ़’, ‘जी पंजाब-हरियाणा-हिमाचल’ और ‘जी-सलाम’ (उर्दू) जैसे चैनल्स मौजूद थे।

आपको बता दे कि, साल 1999 वो साल था जब उन्होंने “जी” ग्रूप के साथ जुड़ने का फैसला लिया। आउटपुट में सरहानिय काम करने के बाद उन्होंने बतौर रिपोर्टर भी काम किया। यहां भी दिलीप तिवारी ने अपनी धारधार रिपोर्टिंग के जरिए लोगों को अपना मुरीद बना दिया। बतौर रिपोर्टर उनका सबसे पहला चैलेंजिंग असाइनमेंट, साल 2002 में गोधरा में हुए दंगों की रिपोर्टिंग थी। मुंबई में हुए आतंकी हमले और पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या मामले की कवरेज भी उन्होंने की है, जो लोगों द्वारा खूब पसंद की गई।

भारत ही नहीं दिलीप तिवारी ने पाकिस्तान में जाकर भी कई बार रिपोर्टिंग की है। पाकिस्तान में बैठे इमरान खान हो या फिर नवाज शरीफ या फिर पाकिस्तान के क्रिकेटर, दिलीप तिवारी ने उसी धारधार तरीके से रिपोर्टिंग की जिस तरह वो अपने मुल्क भारत में करते थे। आपको शायद मालूम ना हो लेकिन पाकिस्तान की जेल मे सजा काट रहे सरबजीत की खबर को भारत में उजागर करने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ दिलीप तिवारी को ही जाता है। फिलहाल सरबजीत अब हमारे बीच नहीं है, उन्हे पाकिस्तान ने झूठे मामले में गिरफ्तार किया था और उन्हे पाक कोट लखपत जेल में रखा गया था।

मूल रूप से जबलपुर (मध्य प्रदेश) के रहने वाले दिलीप तिवारी को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का करीब 24 साल का अनुभव है। पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वरिष्ठ पत्रकार और ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के पूर्व समूह संपादक दिलीप पडगांवकर (अब दिवंगत) के प्रॉडक्शन हाउस ‘APCA’ (Asia Pacific Communication Associates) से बतौर इंटर्न की थी। यहां करीब एक-डेढ़ साल काम करने के बाद वह ‘अमर उजाला’ ग्रुप के पहले हिंदी बिजनेस डेली ‘कारोबार’ से जुड़ गए और फिर कुछ समय बाद वहां से अलविदा कहकर ‘जी’ में आ गए। कुछ समय के लिए दिलीप तिवारी ने ‘जनसत्ता’ और ‘आज’ के लिए बतौर फ्रीलॉन्सर भी काम किया है।

दिलीप तिवारी अपने शुरुआती दिनों से ही काफी होशियार छात्रों में से एक थे। उन्होंने इकनॉमिक्स में एमए किया है। इसके अलावा उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से बीजेएमसी (BJMC) की पढ़ाई की है। यहां वह अपने बैच के टॉपर रहे हैं।

इतने बड़े चैनलों की कमान संभलाना, इतने रसूकदार होने के बाद भी दिलीप तिवारी ने लोगों से एक आम आदमी की तरह व्यवाहर किया है। उन्होंने कभी भी अपने पद का इस्तमाल किसी को ब्लैकमेल या फिर रंगदारी के लिए नहीं किया जो आजकल अमूम हर पत्रकार करता हुआ पाया जाता है। एशिया के सबसे बड़े मीडिया ग्रूप के ceo के पद पर रहने बावजूद भी दिलीप तिवारी ने कभी भी मीडिया की चकाचौंद वाली जिंदगी को अपने उप्पर हावी नहीं होने दिया। वो हर रोज आफिस आने और घर जाने के लिए ola कैब का इस्तमाल किया करते थे।

दिलीप तिवारी ने हर बार वरियता अपने काम और अपनी संस्थान को दिया है। वो हमेशा ये सोचते थे कि कैसे ‘जी’ को आम लोगों तक ले जाया जाए, कैसे आम लोगों की परेशानियां सरकार के सामने पेश की जाए और इसमें कोई दो राय नहीं है कि दिलीप तिवारी ने इस कार्य को बखूभी निभाया है। फिलहाल दिलीप तिवारी किस संस्थान के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगे इसकी जानकारी नहीं हैं, लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि इतने दमदार पत्रकार दिलीप तिवारी की नई पारी की शुरुआत कहां और कितनी धारधार होगी।

 

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