मध्य प्रदेश की राजनीति में गुना के पूर्व सांसद केपी यादव के राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। केपी यादव को लोकसभा चुनाव के दौरान तब प्रसिद्धि मिली जब गुना लोकसभा सीट से उनकी जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा गया था। सिंधिया की भारी जीत ने पार्टी के भीतर यादव की भविष्य की भूमिका पर सवाल खड़ा कर दिया है।
अटकलों के पीछे कारण
केपी यादव के राजनीतिक करियर में नई दिलचस्पी गृह मंत्री अमित शाह के उनके लिए सुरक्षित भविष्य के आश्वासन से पैदा हुई है। हालाँकि, यादव के लिए पार्टी की विशिष्ट योजनाओं के बारे में उत्सुकता बढ़ रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का सुझाव है कि पार्टी केपी यादव को राज्यसभा भेजकर उनका भविष्य सुरक्षित कर सकती है। इस कदम से अमित शाह द्वारा यादव और उनके समर्थकों से किया गया वादा पूरा हो सकता है।
दूसरी संभावना यह है कि यादव को पार्टी संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है। इस भूमिका में वो जिम्मेदारी दिल्ली बुलाकर दी जाएगी? या मध्य प्रदेश में रखते हुए ही कुछ उनको महत्त्वपूर्ण दायित्व सौंपा जाएगा?
केपी यादव की नई भूमिका के समय और प्रकृति को लेकर कई सवाल और अटकलें हैं। कुछ का मानना है कि आलाकमान फैसले में देरी कर रहा है, जबकि अन्य का मानना है कि यादव के धैर्य का आखिरकार फल मिलेगा। बड़ा सवाल यह है कि क्या केपी यादव दिल्ली चले जाएंगे या मध्य प्रदेश में ही रहेंगे।
केपी यादव हाल ही में काफी सक्रिय रहे हैं और उन्होंने भोपाल और दिल्ली दोनों जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।