मध्य प्रदेश में मोहन सरकार ने हाल ही में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, जिसमें रामनिवास रावत एकमात्र नए मंत्री हैं। इस फैसले पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आईं, जिनमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी शामिल थे, जिन्होंने नजरअंदाज किए गए वरिष्ठ भाजपा नेताओं के प्रति सहानुभूति व्यक्त की।
विस्तार से पहले कई नामों पर विचार किया गया, जिनमें वरिष्ठ बीजेपी विधायक और कांग्रेस से बीजेपी में आए लोग भी शामिल थे। इसके बावजूद, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेन्द्र सिंह जैसे उल्लेखनीय भाजपा नेताओं को छोड़कर केवल रामनिवास रावत को मंत्री नियुक्त किया गया।
पटवारी की आलोचना
अमरवाड़ा में चुनाव प्रचार के दौरान जीतू पटवारी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने के लिए भाजपा की आलोचना की। उन्होंने गोपाल भार्गव और पूर्व गृह मंत्री सागर जैसे नेताओं के प्रति सहानुभूति व्यक्त की, उनके विधायक के रूप में लंबे कार्यकाल और कई कार्यकालों पर प्रकाश डाला। जीतू पटवारी ने कहीं ना कहीं बीजेपी पर यह सवाल जरूर उठा दिया कि कांग्रेस से आने वाले नेताओं को भारतीय जनता पार्टी में न सिर्फ सम्मान मिल रहा बल्कि सम्मान जनक पद भी दिए जा रहे हैं। यही कारण है कि अब बीजेपी के पुराने नेताओं का क्या हो रहा है इसको लेकर सब सवाल उठा रहे हैं। दरअसल बीजेपी के कई पुराने दिग्गज नेताओं को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। जबकि नए चेहरों को मौका दिया गया है। पटवारी ने सुझाव दिया कि भाजपा अपने दिग्गज नेताओं के बजाय कांग्रेस के नए सदस्यों को तरजीह दे रही है, जिससे पार्टी के भीतर इन वरिष्ठ लोगों के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेताओं के भविष्य को लेकर चिंता
पटवारी की टिप्पणियों ने भाजपा की आंतरिक गतिशीलता की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जहां अनुभवी नेताओं पर नए चेहरों को प्राथमिकता दी जा रही है। भाजपा के इस रणनीतिक कदम से पार्टी की दीर्घकालिक योजनाओं और वरिष्ठ सदस्यों की भूमिका को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। अभी तक गोपाल भार्गव और भूपेन्द्र सिंह में से किसी ने भी उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की है।