अगले शैक्षणिक सत्र से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में मातृ भाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई होगी. केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में गुरुवार को उच्चस्तरीय बैठक हुई।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) अगले शैक्षिक सत्र से छात्रों को मातृ भाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई होगी। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया।
बैठक के बाद मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘तकनीकी शिक्षा, विशेष रूप से इंजीनियरिंग की शिक्षा मातृ भाषा में देने का लाभकारी निर्णय लिया गया और यह अगले शैक्षिक सत्र से छात्रों के लिए उपलब्ध होगा। इसके लिए कुछ आईआईटी और एनआईटी को चुना जा रहा है।”
उन्होंने जानकारी दी कि बैठक में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की तरफ से प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम लाने पर भी विचार किया गया। एनटीए स्कूली शिक्षा बोर्ड से जुड़े समकालीन हालात का जायजा लेगी और उसके बाद प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम लाएगी।
अधिकारी ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को सभी छात्रवृत्तियों, फेलोशिप को समय पर देने का निर्देश दिया गया है और आयोग को हेल्पलाइन शुरू कर छात्रों की सभी समस्याओं का तुरंत समाधान करने को कहा गया है।
आप को बता दे कि एनटीए ने पिछले महीने ही हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा नौ क्षेत्रीय भाषाओं में जेईई की मुख्य परीक्षा कराने की घोषणा की थी। हालांकि, आईआईटी ने अभी तक यह फैसला नहीं किया है कि क्या जेईई एडवांस की परीक्षा भी क्षेत्रीय भाषाओं में कराई जाएगी।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल नई शिक्षा नीति के लागू होने से क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने सार्वजनिक सभा और सेमिनार में भी खुलकर अपने विचार रखे। नई शिक्षा नीति 2020 प्रारंभिक क्लास से आगे तक मातृ भाषा में शिक्षा का समर्थन करती है।