मकर संक्रांति हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है और सर्दियों के खत्म होने तथा दिन के बढ़ने की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन स्नान, दान और सूर्य उपासना का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति 2025: जानें शुभ मुहूर्त, दान-पुण्य का महत्व और पूजा विधि
मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ मनाया जाता है। यह दिन शुभ कार्यों की शुरुआत और दान-पुण्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन स्नान, दान, और सूर्य उपासना का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं मकर संक्रांति 2025 के शुभ मुहूर्त, दान का महत्व और पूजा विधि।
मकर संक्रांति 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि: 14 जनवरी 2025
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश: सुबह 8:55 बजे
पुण्यकाल: सुबह 8:55 से 12:51 तक
महापुण्यकाल: सुबह 8:55 से 9:29 तक
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:27 से 6:21 तक
अमृत काल: सुबह 7:55 से 9:29 तक
इन शुभ मुहूर्तों के दौरान स्नान और दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
दान का महत्व और महापुण्यकाल
मकर संक्रांति पर दान करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। महापुण्यकाल का समय मात्र 34 मिनट का है, जिसमें तिल, गुड़, चावल, वस्त्र, स्वर्ण और अन्न दान करना सबसे अधिक पुण्यकारी होता है।
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है।
सूर्य उपासना का महत्व
मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। सूर्य को ऊर्जा, प्रकाश, और जीवन का स्रोत माना गया है।
सूर्य को जल अर्पित करें, जिसमें तिल, गुड़, और चावल मिलाएं।
सूर्य देव के निमित्त इन मंत्रों का जाप करें:
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्त्पते। अनुकंपय मां भक्त्या, गृहाणार्घ्य नमोस्तुते।।
ॐ ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय आदित्याय श्री महादेवाय नमः
सूर्य की उपासना से रोग, शोक और दरिद्रता का नाश होता है।
मकर संक्रांति पर विशेष योग
इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं।
पुष्य नक्षत्र: शनि का नक्षत्र, जो दान और पूजन के लिए शुभ है।
विष्कुंभ और प्रीति योग: ये योग दान और धार्मिक कार्यों की महत्ता को और बढ़ाते हैं।
इन शुभ योगों के कारण गंगा स्नान और दान का महत्व कई गुना बढ़ गया है।
पूजा विधि और परंपराएं
स्नान: सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर गंगाजल का उपयोग करें।
सूर्य को अर्घ्य: जल में तिल, गुड़ और चावल मिलाकर सूर्य देव को अर्पित करें।
दान: तिल-गुड़ से बनी मिठाइयों, अन्न, वस्त्र और स्वर्ण का दान करें।
भोजन: इस दिन तिल-गुड़ से बनी मिठाइयों का सेवन करें और दूसरों को भी बांटें।
मकर संक्रांति पर बन रहे दुर्लभ संयोग
मकर संक्रांति पर सूर्य का मकर राशि में गोचर और पुष्य नक्षत्र के साथ विष्कुंभ और प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। ये शुभ संयोग दान, स्नान और सूर्य उपासना के फल को कई गुना बढ़ा देते हैं।