{ लालकुआं से योगेश की रिपोर्ट }
पंजाब और हरियाणा के अलावा उत्तर भारत में भी बैसाखी के पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है और इस पर्व की बड़ी मान्यताएं है। देश के दूसरे हिस्सों में भी इस पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, बैसाखी रबी की फसल पक कर तैयार हो जाने पर मनाया जाता है।
फसल कटने के बाद किसान नए साल का जश्न मनाते हैं ,यही नहीं बैशाखी के दिन ही 1969 में सिखों के दसवें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी ,बैसाखी सिखों के नए साल का पहला दिन है।
वहीं पूरे देश में लॉकडाउन के चलते आज लाल कुआं के विभिन्न क्षेत्रों में बैसाखी पर्व को बहुत ही शालीनता के साथ और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए मनाया गया।
वही एक छोटे से भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें 8 से 10 लोगों को ही बैठा के अलग-अलग भोजन कराया गया और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए बहुत ही शालीनता के साथ इस पर्व को मनाया गया।