नई दिल्ली : अमेरिकी सैनिकों की वापसी के ऐलान के बाद से तालिबान लगातार अफगानिस्तान पर कहर बरपा रहा है और उसने 100 से अधिक जिलों पर कब्जा कर लिया है। आलम यह है कि अफगानिस्तान के 1500 सरकारी सैनिक पड़ोसी देश भाग गए हैं। वहीं अफगान सेना की मदद करने के बजाय अमेरिकी सैनिक अब और जल्दी अफगानिस्तान से लौटने के तैयारी में है। आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को ऐलान किया है कि 31 अगस्त तक अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में अपना सैन्य अभियान बंद कर देंगे। जबकि इससे पहले अफगानिस्तान को छोड़कर जाने की समय सीमा 11 सितंबर थी।
अब बाइडेन तय समय सीमा से पहले अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब और अमेरिकी सैनिकों की जान नहीं जाएगी। इस दौरान दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के राष्ट्रपति ने यह भी माना अमेरिका को इस 20 साल तक चली जंग में ऐसी सफलता नहीं मिली जिसको लेकर जश्न मनाया जा सके।
तालिबान भरोसा करने लायक नहीं: बाइडन
बाइडन ने यह भी माना कि तालिबान भरोसा करने लायक नहीं है और अमेरिका के जाने के बाद अफगान सरकार पूरे देश पर नियंत्रण कर सकेगी यह जरूरी नहीं है। उन्होंने तालिबान और अफगान सरकार से अपील की कि वे एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करें। उन्होंने कहा कि, ‘हम अफगानिस्तान का निर्माण करने के लिए वहां नहीं गए थे। अफगान नेताओं को साथ आकर भविष्य का निर्माण करना होगा।’ बाइडन ने कहा कि यह एक ऐसी जंग है जिसे जीता नहीं जा सकता है और इसका कोई सैन्य हल नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अमेरिकी सैन्य अभियान को अभी और जारी रखने की मांग पर कहा, ‘अभी कितने और, कितने हजार अमेरिकी बच्चों की जान को आप खतरे में डालना चाहते हैं? मैं अमेरिका की एक और पीढ़ी को अफगानिस्तान में जंग के लिए नहीं भेजूंगा। वह भी तब जब इसका कोई तार्किक परिणाम नहीं आ रहा है। इस बीच अफगानिस्तान से लगभग 90 फीसदी अमेरिकी सैनिक वापस लौट गए हैं। अफगान सरकार को उम्मीद थी कि अभी कुछ अमेरिकी सैनिक वहां रुकेंगे लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
अचानक छोड़कर भाग जाने पर शर्मिंदगी झेल रहा अमेरिका
अफगानिस्तान में अपने किले बगराम एयरबेस पर करीब 20 साल तक राज करने के बाद अमेरिकी सैनिक रात के अंधेरे में उसे वीरान छोड़कर वापस चले गए। आलम यह रहा कि उन्होंने अफगान सुरक्षा बलों को इसके बारे में नहीं बताया जिसकी वजह से स्थानीय लोगों ने उसे लूट लिया। अब अमेरिका को खुद पर संदेह, शर्मिंदगी और आत्मग्लानि का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं उसे अब डर सता रहा है कि अफगानिस्तान एक बार फिर से गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहा है। तालिबान के सामने अफगान सुरक्षा बलों के बिना लड़े ही घुटने टेक देने की तस्वीरें और बगराम एयरपोर्ट पर अव्यवस्था जैसे हालात को देखकर अमेरिकी सांसद सुरक्षा विश्लेषक टेंशन में आ गए हैं। उन्हें अब अफगानिस्तान में गृहयुद्ध और आतंकवाद की वापसी के आसार दिखाई दे रहे हैं।
यह सब केवल इसलिए हुआ कि बाइडेन प्रशासन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी में जरूरत से ज्यादा तेजी दिखा दी। उधर, दशकों से जंग का सामना कर रही अफगान जनता ने खुद को गृहयुद्ध की वापसी के लिए तैयार कर लिया है। रिपब्लिकन पार्टी के सांसद माइकल मैककौल ने खुलासा किया कि अफगान राष्ट्रपति अशरफ घनी की टीम ने उन्हें चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को ‘जिहाद के साल’ के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन को अफगानिस्तान में लोगों की हत्या, महिलाओं के दमन और मानवीय संकट की जिम्मेदारी लेनी होगी।